रायपुर. छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र, जिनकी पहचान कभी नक्सलियों के गढ़ के रूप में हुआ करती थी, अब वह तेजी से विकास के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। आमूलचूल होने वाला यह बदलाव राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़-संकल्प के चलते संभव हो पाया है।
राज्य के घोर नक्सल प्रभावित जिलों में विकास की नई रेखाएं खींच रही हैं। पिछड़ेपन और भय के पर्याय बन चुके नक्सल प्रभावित ज़िले आज राज्य के मुखिया के हाथों संवरने लगे है। “नियद नेल्ला नार” योजना से इन क्षेत्रों में आज विकास की नई इबारतें लिखी जा रही है। साय सरकार की जनहितैषी नीति, नक्सलवाद उन्मूलन अभियान और समग्र विकास ने इन क्षेत्रों में सकारात्मक और परिणाममूलक परिवर्तन की शुरुआत कर दी है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही निर्णायक लड़ाई में “नियद नेल्ला नार” योजना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह योजना न केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को गति देने में सहायक है, बल्कि नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने में भी प्रभावी सिद्ध हो रही है।


“नियद नेल्ला नार” योजना
“नियद नेल्ला नार” योजना का उद्देश्य नक्सल प्रभावित और पिछड़े क्षेत्रों में समग्र विकास सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत सुरक्षा कैम्पों के 5 किलोमीटर की परिधि में स्थित गांवों में सरकार की 17 विभागों की 53 कल्याणकारी योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इससे इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ी है और लोगों में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है।

नक्सलियों में आत्मसमर्पण की बढ़ती प्रवृत्ति
सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों की निर्णायक कार्रवाई ने नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कुछ नक्सली भय से तो कुछ “नियद नेल्ला नार” योजना से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण करने लगे है। नक्सलियों का आत्मसमर्पण साय सरकार की पुनर्वास नीतियों और प्रबल नक्सलवाद विरोधी अभियानों का परिणाम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बीजापुर जिला मुख्यालय में आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सतत निगरानी एवं समन्वय बनाए रखें।
सरकार की पुनर्वास नीति
मुख्यमंत्री साय ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए आवास, पुनर्वास और कौशल प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था और उन्हें एनएमडीसी व निजी क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं के लिए प्लेसमेंट कैंप आयोजित करने के निर्देश दिए। छत्तीसगढ़ सरकार की 2025 की नई नक्सल आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि और आवश्यक वस्तुएं प्रदान की जा रही है। साथ ही उन्हें समाज में पुनः स्थापित करने अन्य सुविधाएं भी दी जा रही है।

सुरक्षा बलों की निर्णायक कार्रवाई
राज्य के सात घोर नक्सल प्रभावित जिलों में राज्य के मुख्यमंत्री के निर्देश पर पिछले 15 महीनों से नक्सल उन्मूलन अभियान और विकास की रणनीति को एक साथ लागू किया गया है, जो लगातार छत्तीसगढ़ से नक्सलियों के पैर उखाड़ने का काम कर रहा है। नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले के थुलथुली जंगल में 31 से अधिक नक्सलियों के मारे जाने के साथ माओवादियों के 216 ठिकानों और बंकरों को ध्वस्त कर भारी मात्रा में उनके हथियार और विस्फोटक सामग्री जब्त करने से इस क्षेत्र में नकसलवादियों की कमर टूट गई है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवादी गढ़ माने जाने वाले करेगुट्टालू पहाड़ी क्षेत्र में ऑपरेशन कगार के तहत सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों के 18 जवान भी आईईडी विस्फोटों में घायल हुए। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के बावजूद जवानों ने साहस और धैर्य के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया।
मुख्यमंत्री ने इस सफलता पर कहा कि “बीजापुर जिले की करेगुट्टालू की पहाड़ी पर हमारे जवानों ने जिस शौर्य और साहस का प्रदर्शन किया है, वह माओवाद पर निर्णायक प्रहार है। यह केवल ऑपरेशन नहीं, बल्कि भारत के तिरंगे की विजय यात्रा है। मैं सभी वीर सुरक्षाकर्मियों को हृदय से बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में यह लड़ाई माओवाद की जड़ों तक पहुंच चुकी है और हम मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त करने में सफल होंगे।”
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक सफलता पर सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए इसे सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी बताया है और नक्सलवाद के खात्मे तक लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इस उपलब्धि को नक्सलमुक्त भारत की दिशा में छत्तीसगढ़ की साय सरकार का एक बड़ा योगदान कहा जा सकता है। केंद्र और राज्य सरकार के सामूहिक प्रयास से चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य माओवादियों की सशस्त्र क्षमता को समाप्त कर राज्य के विकास को गति देना है।
विकास और सुरक्षा का संतुलन
“नियद नेल्ला नार” योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ की साय सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने में सफल हो रही है। मुख्यमंत्री की जनकल्याणकारी नीतियों और योजनाओं के चलते आम जनता तेजी से विकास मुख्यधारा से जुड़ रही है। नक्सल प्रभावित जिलों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं बड़ी तेजी से उपलब्ध कराई गई हैं। सुरक्षा बलों की मजबूत पकड़ के चलते माओवादी संगठन बिखर रहे हैं और छोटे-छोटे समूहों में विभाजित हो रहे हैं। ‘नियद नेल्ला नार‘‘ योजना में शामिल गांवों में मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम जनमन, आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसी योजनाओं से न केवल इन क्षेत्रों में सरकारी उपस्थिति मजबूत हुई है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी आमजन का सशक्तिकरण भी हो रहा है।
शांति वार्ता पर सरकार का रुख
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि नक्सलियों के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन नक्सलियों को पहले आत्मसमर्पण करना होगा और भारतीय संविधान की मान्यता स्वीकार करनी होगी। छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने यह भी कहा है कि यदि नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं तो उन्हें अपने प्रतिनिधि और वार्ता की शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा।
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