Ismail Royer And Shaykh Hamza Became White House Advisor: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने विश्व से आतंकवाद का खात्मा करने के प्रण के साथ अमेरिका की सत्ता में वापसी की थी। हालांकि आज हालात यह है कि ट्रंप अब अपने फायदे के लिए उन्हीं आतंकवादियों के सामने झुक गए हैं। जी हां.. डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अमेरिका का ‘जेहादी प्रेम’ दिखाते हुए दो जिहादियों इस्माइल रॉयर और शेख हमजा को व्हाइट हाउस के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के सलाहकार बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया है। इसमें से एक लिंक लश्कर और अल-कायदा से रहा है। यह खुलासा सबसे पहले पत्रकार लॉरा लूमर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किया है। इस खुलासे से ट्रंप और पश्चिमी जगत की आतंक पर दोहरी नीति एक बार फिर से उजागर हुआ है।
इस्माइल रॉयर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप लल चुके हैं। इनमें अमेरिका के खिलाफ युद्ध की साजिश रचना और 2003 में अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करना शामिल था।वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 में उसने हथियारों और विस्फोटकों के उपयोग में सहायता करने और उन्हें बढ़ावा देने का अपराध स्वीकार किया था। रॉयर आतंकवाद से संबंधित आरोपों में 13 साल जेल में बिता चुका है।
व्हाइट हाउस ने रॉयर को अपने एडवाइजरी बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में शामिल करने का ऐलान करते हुए उसके बारे में लिखा कि उसने पारंपरिक इस्लामी विद्वानों के साथ धार्मिक विज्ञान का अध्ययन किया है और गैर-लाभकारी इस्लामी संगठनों में एक दशक से अधिक समय तक काम किया है। उसने 1992 में इस्लाम धर्म अपना लिया था। इसमें आगे कहा गया है कि उसका लेखन कई प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ है और उसने इस्लाम पर एक लेख ‘रिलीजियस वायलेंस टुडे: फेथ एंड कॉन्फ्लिक्ट इन मॉडर्न वर्ल्ड’ का सह-लेखन भी किया है। 2023 में मिडिल ईस्ट फोरम के साथ बातचीत में रॉयर ने अपनी यात्रा को याद किया था कि कैसे वह जिहादी बना।
उसने लश्कर-ए-तैयबा के साथ अपने संबंधों के बारे में कहा था, ‘मुझे लश्कर-ए-तैयबा के लोग पसंद थे। मैं बिन लादेन का बहुत विरोधी था। मुझे लगता था कि अल कायदा एक भटका हुआ समूह है। मुझे लश्कर-ए-तैयबा में जाने की सलाह दी गई और बताया गया कि यह कोई चरमपंथी समूह नहीं है, बल्कि इनका झुकाव सऊदी अरब के इमाम की ओर है। मैंने मस्जिद में मुसलमानों को लश्कर में शामिल होने और उनके साथ (कश्मीर में) प्रशिक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
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इस्माइल रॉयर कौन है?
एक फोटोग्राफर और एक शिक्षक के बेटे, रान्डेल टोड रॉयर का पालन-पोषण सेंट लुईस में हुआ, जहां छोटी उम्र में ही वह चरमपंथ की ओर आकर्षित हो गया था। 1992 में इस्लाम धर्म अपनाने के बाद, रॉयर ने अपना नाम इस्माइल रख लिया था। उसने अपने पैतृक शहर सेंट लुइस में बोस्नियाई शरणार्थियों के साथ काम करना शुरू किया। वाशिंगटन, डीसी में काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) के साथ कुछ समय तक काम करने के बाद, वह देश के गृहयुद्ध में लड़ने के लिए बोस्निया चला गया। बोस्निया में युद्ध समाप्त होने के बाद रॉयर वापस अमेरिका आया। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार वह 2000 में फिर से विदेश गया, इस बार पाकिस्तान, जहां उसकी मुलाकात लश्कर-ए-तैयबा से हुई थी।
शेख हमजा यूसुफ
शेख हमजा यूसुफ कैलिफोर्निया में जैतुना कॉलेज (जो शरिया कानून पढ़ाता है) का सह-संस्थापक है और इस्लामी आतंकवादी भी रह चुका है। पत्रकार लॉरा लूमर के अनुसार, शेख हमजा यूसुफ हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड दोनों से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि 9/11 से दो दिन पहले, यूसुफ ने जमील अल-अमीन के लिए एक फंडरेजर इवेंट में भाषण दिया था। जमील अल-अमीन पर एक पुलिस अधिकारी की हत्या का मुकदमा चल रहा था। अपने भाषण के दौरान, यूसुफ ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर नस्लवादी देश होने का आरोप लगाया था और कहा था कि अल-अमीन को फंसाया गया हैय़ अल-अमीन को अगले वर्ष हत्या का दोषी ठहराया गया था। अपनी आतंकवादी पृष्ठभूमि के बावजूद, शेख हमजा यूसुफ को ट्रंप प्रशासन द्वारा व्हाइट हाउस के एडवाइजरी बोर्ड ऑफ ले लीडर्स का सदस्य नियुक्त किया गया है। ये नियुक्ति ट्रंप की नीतियों पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
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