पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत की उम्मीद थी लेकिन अब उसे बड़ा झटका लगा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर की आर्थिक मदद तो दी, लेकिन अब उसने अगली बेलआउट किश्त से पहले 11 नई कड़ी शर्तें थोप दी हैं। इन शर्तों के साथ IMF ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं करता तो अगला फंड रोका जा सकता है। साथ ही भारत के साथ बढ़ते तनाव को लेकर चेतावनी दी है कि इससे पाकिस्तान के वित्तीय, बाह्य और सुधार लक्ष्यों को गंभीर खतरा हो सकता है।

इन नई शर्तों के बाद IMF की कुल शर्तों की संख्या 50 हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, IMF ने ये सख्त कदम भारत द्वारा मई की शुरुआत में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उठाया है।

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भारत से तनाव के बीच आनन-फानन में दी थी बेलआउट पैकेज

बता दें कि, पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव चरम पर था तभी IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की फंडिंग दी थी। इसके साथ ही उसने क्लाइमेट रेजिलिएंस के नाम पर अतिरिक्त 1.4 अरब डॉलर की मंजूरी भी दे दी। लेकिन इस फैसले को लेकर IMF की काफी आलोचना और फजीहत हुई। जिसके बाद अब डेमेज कंट्रोल करने ये कदम उठाया गया है।

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क्या है IMF की 11 नई शर्तें?

17.6 ट्रिलियन रुपये का बजट पास करना होगा

पाकिस्तान की संसद को IMF के तय दिशानिर्देशों के अनुसार वित्त वर्ष 2026 का बजट पास करना होगा.

बिजली बिल में डेब्ट सर्विस चार्ज बढ़ाना होगा

सरकार को बिजली उपभोक्ताओं से वसूला जाने वाला अतिरिक्त चार्ज बढ़ाना होगा.

तीन साल से पुराने सेकंड हैंड कार के आयात पर से रोक हटानी होगी

अब 5 साल तक पुरानी गाड़ियों का व्यावसायिक आयात संभव होगा.

रक्षा बजट में भारी इजाफा

पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट 2.414 ट्रिलियन रुपये कर दिया है, जो IMF के अनुमानों से भी ज्यादा है.

राज्यों को कृषि आयकर लागू करना होगा

चारों प्रांतों को नया एग्रीकल्चर इनकम टैक्स लागू करना होगा और एक प्रभावी टैक्स कलेक्शन प्लेटफॉर्म भी बनाना होगा.

गवर्नेंस सुधार पर रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी

IMF की सलाह पर आधारित एक व्यापक एक्शन प्लान सरकार को सार्वजनिक करना होगा.

2027 के बाद की फाइनेंशियल रणनीति तैयार करनी होगी

2028 से आगे के वित्तीय नियमन और ढांचे को लेकर एक दीर्घकालिक योजना बनानी होगी.

बिजली और गैस दरों में समय पर समायोजन करना होगा

बिजली के टैरिफ को लागत के बराबर रखने के लिए हर साल 1 जुलाई को संशोधन और गैस दरों का समायोजन हर छह महीने में करना होगा.

कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी बनाने का कानून पास करना होगा

संसद को इस कानून को जून के अंत तक स्थायी रूप से लागू करना होगा.

बिजली बिल पर लगने वाले सरचार्ज की सीमा हटानी होगी

अभी 3.21 रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा है, जिसे हटाना पड़ेगा.

स्पेशल टेक्नोलॉजी ज़ोन पर मिल रही छूटें बंद करनी होंगी

2035 तक सभी इंसेंटिव को खत्म करने की योजना बनाकर इस साल के अंत तक रिपोर्ट पेश करनी होगी.

भारत-पाकिस्तान तनाव और IMF की चिंता

IMF की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव – विशेषकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद – पाकिस्तान के सुधार कार्यक्रमों के लिए खतरा बन सकता है।

7 मई को भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल) का जवाब देते हुए आतंक के ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। पाकिस्तान ने इसके जवाब में 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य अड्डों पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने इन्हें बेकार साबित कर दिया। इसके बाद 10 मई को दोनों देशों ने आपसी समझौते के बाद संघर्षविराम पर सहमति जताई।

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