रायपुर. सरकारी दवाओं की खरीदी में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार और कई प्रभावशालियों पर पड़ने वाले उसके छीटों के बीच सूबे के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने दो टूक कहा है कि मैं खुद को बचाने का प्रयास नहीं करता. मैं चाहता हूं कि मेरे विभाग के हर काम पर, हर फैसले पर लोगों की नजर हो. जो भी कमी हो, उसे चर्चा के माध्यम से सामने लाए. सोशल मीडिया पर भी कई लोग हैं, जो मुझे लेकर लगातार लिखते हैं. उसे भी मैं आत्मसात करता हूं. मैं कभी नाराज नहीं होता. सोने को आप कीचड़ में भी डाल दोगे, तब भी वह सोना ही रहेगा.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रिएजेंट खरीदी घोटाला मामले के बाद अब हमने भारत सरकार की मदद से एक पोर्टल तैयार किया है. इसमें दर्ज आंकड़े बताते हैं कि किस गोडाउन में कितनी दवाएं रखी हैं? कितनी दवाएं खराब हो गई है? किस हॉस्पिटल में कौन सी दवा है और कौन सी नहीं है? कौन सी दवा खरीदी जानी है? यह सब पब्लिक डोमेन में है. यह कोई भी अब देख सकता है. इससे ट्रांसपेरेंसी आएगी. पिछले दिनों शराब की गुणवत्ता की जांच के लिए शराब दुकान के दौरे से जुड़े सवाल पर श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मैं ब्रेवरेज कार्पोरेशन का चेयरमेन भी हूं. इस नाते यह मेरी जिम्मेदारी है कि शराब की गुणवत्ता की जांच करूं. यह मेरा दायित्व है और मैं भविष्य में भी शराब दुकान का दौरा करूंगा. स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने लल्लूराम डॉट काम से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में स्वास्थ्य महकमे में चल रहे कामकाज को लेकर विस्तार से बातचीत की है. पढ़िए और देखिए पूरा इंटरव्यू- 

सवाल- कैसा चल रहा है कामकाज? डेढ़ साल की सरकार में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार ने क्या-क्या काम किए हैं?

जवाब – हेल्थ एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसमें सतत रूप से काम होता है. जैसे किसान फसल लगाने के बाद खाद पानी देता है. बीच-बीच में पानी देता है. जानवर से बचाता है, तब जाकर फसल तैयार होती है. इसी तरह से हेल्थ एक ऐसा सेक्टर है, जहां सतत रूप से काम किया जाता है. हम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. न्यूज चैनल और अखबारों में छपने वाली खबरों से दिए जाने वाले सुझावों पर भी ध्यान देते रहते है. मेरी नजर पहले निगेटिव न्यूज पर जाती है. तत्काल उन खामियों को दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं. बीते डेढ़ सालों में हेल्थ सेक्टर में हमने दो बड़े काम किए हैं. आजादी के बाद से अब तक किसी भी सरकार ने एक साथ 5 मेडिकल कॉलेज नहीं खोला. हमने एक साल में ही स्वीकृत किया है. इसके संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए टेंडर कर दिया है. अब तक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल केवल रायपुर में था, अब बिलासपुर शुरू कर दिया है, जगदलपुर शुरू करने जा रहे हैं. हर संभाग में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल हर संभाग में उपलब्ध हो सकेगा. इसी तरह से छह फिजियोथेरेपी कालेज एक साथ हम शुरू कर रहे हैं. राज्य में आजादी के बाद से अब तक केवल आठ नर्सिंग कालेज थे, इसके अलावा हम १२ नए नर्सिंग होम शुरू कर रहे हैं. योग और नेचुरोपैथी के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़ा सेंटर राजधानी में स्वीकृत किया है. इसका भूमि पूजन हो चुका है. टेंडर भी कर लिया गया है, जल्द ही काम शुरू हो जाएगा. इसके अलावा मनेंद्रगढ़, जगदलपुर, कवर्धा में भी नेचुरोपैथी सेंटर स्वीकृत किया गया है. मानसिक रूप से पीड़ित मरीजों के लिए सौ बिस्तर सेंदरी में शुरू कर रहे हैं. मनेंद्रगढ़ और जगदलपुर में भी इसके सेंटर शुरू होंगे. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं.

सवाल- दस्तावेजों में एक तरीके से यह उपलब्धि दर्ज की जाती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जमीनी स्तर पर ठीक ढंग से उतर सके, इसकी प्रतिबद्धता कैसे सुनिश्चित की जाएगी?

जवाब – पिछली सरकार में क्या हुआ था? रिएजेंट घोटाला हम सबने सुना है. 50 करोड़ रुपए का रिएजेंट खराब हो गया. दवाइयां एक्सपायर हो रही हैं. हमने भारत सरकार की मदद से एक पोर्टल तैयार किया है. किस गोडाउन में कितनी दवाएं रखी गई हैं? कितनी दवाएं खराब हो गई है? किस हॉस्पिटल में कौन सी दवाइयां हैं? कौन सी दवा खरीदी जानी है. यह सब पब्लिक डोमेन में है. यह कोई भी देख सकता है. इससे ट्रांसपेरेंसी आ जाएगी. मेडिकल कालेज में आटोनामस बाडी थी. बैठकें हो नहीं पाती थी. हमने पावर नीचे तक डेलिकेट कर दिया है. कितनी खरीदी हुई, किस कंपनी की खरीदी की गई है. यह सब कुछ अब ट्रांसपेरेंट हैं. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के नहीं होने की शिकायतें आती थी, हमने अटेंडेंस का तरीका बदल दिया है. डॉक्टर अब हास्पिटल के दो सौ मीटर के रेडियस में आकर मोबाइल एप के जरिए अपना चेहरा दिखाएंगे. इससे अटेंडेंस लगेगा. यदि डाक्टर उस दायरे से बाहर गए, तो मॉनिटरिंग सिस्टम पर तुरंत अलर्ट आ जाएगा. 375 नए एंबुलेंस का टेंडर कर चुके हैं. एंबुलेंस की संख्या बढ़ जाएगी. राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल मेकाहारा में क्षमता से दोगुना मरीज भर्ती है, लेकिन सबका इलाज हो रहा है. मेकाहारा में हमने बाईपास सर्जरी, ओपन हार्ट सर्जरी शुरू कर दी है. यह आज तक शुरू नहीं हो पाया था. निचले स्तर पर जाएंगे, तो उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों, तकनीशियन, वार्ड बाय की भर्ती कर रहे हैं. ग्रामीण अंचलों में डॉक्टरों की तनख्वाह डेढ़ गुना ज्यादा बढ़ा दिए हैं. पिछली सरकार की तुलना में हमने बेहतर व्यवस्था बनाई है.

सवाल- अंदरूनी इलाकों में आज भी डॉक्टर नहीं है? डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

जवाब – टेली रिपोर्टिंग के जरिए सुदूर इलाकों के मरीजों का इलाज कर रहे हैं. टेली पैथी, टेली रेडियोलॉजी, टेली सिटी स्कैन के माध्यम से यह कोशिश कर रहे हैं. ग्रामीण अंचलों में डॉक्टरों की भर्ती तेजी से की जा रही है. ब्लाक मुख्यालय तक भी यदि हेल्थ सुविधाएं बेहतर हो जाएगी, तो लोगों को राहत मिलेगी. हाल ही में कैबिनेट मीटिंग में यह तय हुआ है कि ब्लाक मुख्यालय के दस किलोमीटर के रेडियस में सीबीएसई संचालित स्कूल, माल, सिनेप्लेक्स यदि कोई खोलता है, तो उसे हम औद्योगिक नीति के तहत लाभ देंगे. जब ब्लाक मुख्यालय तक सारी सुविधाएं मिलने लगेंगी, तो जाहिर है ग्रामीण अंचलों में डॉक्टर भी रुकेंगे.

सवाल- सरकारी अस्पतालों में यदि कोई जांच 500 रुपए की होती है, वहीं जांच प्राइवेट हॉस्पिटल में 5 हजार रुपए होती है. ये जांच की दर में जो जमीन-आसमान का अंतर है. इसे लेकर कोई नीति क्या सरकार लेकर आएगी?

जवाब – छत्तीसगढ़ की 75 फीसदी के ऊपर जनता आयुष्मान में कवर्ड है. 15 फीसदी लोग सरकारी नौकरियों में है, जो अन्य माध्यम से कवर्ड है. प्राइवेट सेक्टर में जरूर दरों में विषमता की स्थिति है, ऐसी जगहों पर हम कार्रवाई भी करते हैं.

सवाल- आप एक ऐसा विभाग संभाल रहे हैं, जो किसी न किसी कारण से विवादों में रहता ही है? स्वास्थ्य विभाग ऐसा विभाग है कि जिसके ज्यादातर फैसलों को कई बार शक की निगाह से देखा जाता है? कई बार मंत्री भी उस शक की जद में आ जाते हैं? आप खुद को कैसे बचा पा रहे हैं?

जवाब – देखिए मैं खुद को बचाने का प्रयास नहीं करता हूं. सोने को जितनी बार आग में जलाए, उसका कचरा जलता ही है. मैं चाहता हूं कि मेरे विभाग के हर काम पर, हर फैसले पर लोगों की नजर हो. जो भी कमी हो, उसे चर्चा के माध्यम से सामने लाए. सोशल मीडिया पर भी कई लोग खतरनाक तरीके से लिखते हैं. उसे भी मैं आत्मसात करता हूं. मैं कभी नाराज नहीं होता. सोने को आप कीचड़ में भी डाल दोगे तो वह सोना ही होगा. आग में भी डाल दोगे, तब भी वह सोना ही होगा. गीता में कहा है कि कर्मण्डे वाधिकारस्ते…मैं चरैवेति, चरैवेति के नियम पर चलता रहता हूं. प्रदेश के लोग भी अब यह समझ गए हैं कि भ्रष्टाचार किसने किया. गड़बड़ी किसने की. हेल्थ सेक्टर को बदनाम किसने किया. हमने किसी को नहीं छोड़ा. हमने जांच कराई. ईओडब्ल्यू ने जांच की. अब ईडी भी जांच कर रही है. जो भी गड़बड़ करेगा, वह फंसेगा. जांच के दायरे में आएगा. हम चाहते हैं कि समाज की नजर बनी रहे. हम अच्छा काम कर पाएंगे.

सवाल- आपने रिएजेंट घोटाले का जिक्र किया. इस घोटाले में कई मझोले और निचले अधिकारी जेल डाल दिए गए. कई बड़े अधिकारी सिर्फ जांच के रडार पर रहे. पूछताछ तक सीमित रहे. आने वाले दिनों में क्या उन अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाही होगी?

जवाब – निश्चित रूप से कार्यवाही होगी. चाहे कोई कितना बड़ा ही अधिकारी क्यों न हो? कितना बड़ा ही जनप्रतिनिधि क्यों न हो? छत्तीसगढ़ के लोगों के पसीने की कमाई लूटने वाले लोगों पर कार्यवाही होगी. कोई कितना ही रसूखदार और पहुंच वाला क्यों न हो उन सब पर कार्यवाही होगी. हमने किसी को बख्शा नहीं है. पांच अधिकारी जेल में हैं. 12 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज है.

सवाल- सरकारी अस्पताल गरीब की उम्मीद होते हैं. लेकिन सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा की खबरें आती रहती है. सरकार जब इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर रही है, तो फिर क्यों यह व्यवस्था दुरुस्त नहीं किया जा सका है?

जवाब – इसलिए ही मेरा दौरा बढ़ा है. सरकारी हॉस्पिटल के लिए फिर से लोगों का विश्वास कैसे बढ़े. इस भरोसे की बहाली कैसे हो यही मेरा प्रयास है. समाज में एक मानसिकता बढ़ गई है कि लोग प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ जाते हैं. जिस दिन लोग प्राइवेट संस्थाओं की जगह सरकारी संस्थाओं को चुनेंगे, उस दिन यह लगेगा कि हमारा प्रयास सफल रहा है. बीते डेढ़ सालों में हमने सरकारी संसाधनों को बेहतर बनाया है. बीते डेढ़ सालों में हमने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया है.

सवाल- छत्तीसगढ़ को मेडिकल हब बनाने का जिक्र भी होता रहा है. आज भी बड़ी तादात में लोग हैदराबाद, बेंगलुरु, मुंबई, गुड़गांव जैसे शहरों में जाकर इलाज कराते हैं. छत्तीसगढ़ देश का सेंट्रलाइज्ड लोकेशन है, क्यों नहीं यहां मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दिया. राज्य ही नहीं, देश के दूसरे शहरों से भी लोग यहां इलाज के लिए आए. क्या इस तरह की कोई प्लानिंग है?

जवाब – मेडिकल और मेडिकल टूरिज्म एक सिक्के के दो पहलू है. पहले राज्य के लोग इलाज के लिए नागपुर जाते थे, कुछ बड़ी बीमारी हो तो बेंगलुरु और चेन्नई जाते थे, लेकिन बीते एक साल में बाहर जाने का सिलसिला रुका है. मध्यप्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, झारखंड से मरीज छत्तीसगढ़ इलाज कराने आ रहे हैं. मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने औद्योगिक नीति में प्रावधान किया है. इंडस्ट्री लगाने वालों को जो फैसिलिटी मिलेगी, वहीं फैसिलिटी हॉस्पिटल शुरू करने वालों को भी मिलेगी. नया रायपुर में हम मेडिको सिटी बनाने जा रहे हैं. इसके लिए जमीन का चिन्हांकन हो गया है. योग और नेचुरोपैथी के सेंटर जो हम खोल रहे हैं, वह भी मेडिकल टूरिज्म को विकसित करेगा.

सवाल- आयुष्मान कार्ड सरकार ने लोगों को दे रखा है. जनता प्राइवेट अस्पतालों में उम्मीद से जाते हैं कि उनका बेहतर इलाज होगा, लेकिन वहां उन्हें इलाज नहीं मिलता. अस्पताल यह कह देते हैं कि सरकार हमारे बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही. हम इलाज कैसे करें?

जवाब – यह बातें अब पुरानी हो गई है. पिछली सरकार ने करीब 1400 करोड़ रुपए की देनदारी हम पर छोड़ दिया था. यह मार पूरे सवा साल तक हम पर चलता रहा. 31 मार्च 2025 तक की स्थिति में हमने सभी प्राइवेट हॉस्पिटल के बकाए राशि का भुगतान कर दिया है. जितने पात्र क्लेम थे, वह भुगतान कर दिया गया है. राज्य सरकार ने इसके लिए हमे 1700 करोड़ रुपए दिया था. इससे करीब 300 करोड़ रुपए का भुगतान हमने सरकारी अस्पतालों को भी किया है, जिसमें एम्स भी हैं, डीके अस्पताल भी है, मेकाहारा भी है. अब आयुष्मान कार्ड से प्राइवेट अस्पतालों में भी अच्छे से इलाज किया जा रहा है. यह सच है कि पूरे राज्य भर में प्राइवेट अस्पतालों की एक बड़ी राशि बच गई थी.

सवाल- आयुष्मान कार्ड की आड़ में कुछ प्राइवेट अस्पताल बोगस बिलिंग भी करते हैं?

जवाब – करीब सौ करोड़ रुपए का क्लेम हमने रोका भी है. यह बोगस बिलिंग की वजह से ही रोका गया है. ऐसे 28 बड़े अस्पताल हैं, जहां आयुष्मान से इलाज नहीं हुआ. या बोगस बिलिंग की है. ऐसे अस्पतालों पर हमने कार्रवाई भी की है. थर्ड पार्टी ऑडिट व्यवस्था हमने बदल दी है.

सवाल- फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट आपका है. पिछले दिनों पांच हजार किलो पनीर पकड़ा गया. इतना साहस ऐसे लोगों में कहां से आ रहा है कि छत्तीसगढ़ में नकली पनीर की सप्लाई की जा रही है. छत्तीसगढ़ क्या मुफीद राज्य बन गया है कि ग्वालियर, दमोह से नकली पनीर की खेप यहां पहुंच रही है.

जवाब – इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य में इससे पहले कब इतनी बड़ी कार्रवाई हुई कि बड़ी तादाद में नकली पनीर और मावा की जब्ती की गई हो. 50 से ज्यादा मेडिकल दुकानों में कार्रवाई की जहां से शिकायत थी कि आयुर्वेदिक दवाओं में एलोपैथी दवा मिलाकर बेचा जा रहा था. नशीली दवा बेचने वाले मेडिकल दुकानों पर कार्रवाई हुई. केएफसी जैसे रेस्टोरेंट में छापा मारा. फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट बेहतर काम कर रहे हैं. 50 करोड़ की लागत से हम एक बड़ा लैब बना रहे हैं. इससे पहले हमे सैम्पल की जांच के लिए कोलकाता भेजना पड़ता था.

सवाल- आप खुद राइस मिलर्स है. यह आपका कारोबार है. पिछले दिनों सरकार और राइस मिलर्स के बीच विवाद पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने एक बयान दिया और कहा कि श्याम बिहारी जायसवाल सरकार और राइस मिलर्स के बीच ब्रोकर का काम कर रहे हैं?

जवाब – जो जैसा रहता है वैसा सोचता है. ये ब्रोकर का, दलाली का काम कांग्रेस सरकार में होता था. मैं 25 साल पुराना राइस मिलर हूं. राजनीति में आने से पहले से यह काम कर रहा हूं. सरकार में मंत्री होने के नाते यह मेरा नैतिक दायित्व था. धान खरीदी प्रभावित हो रहा था. धान का उठाव प्रभावित हो रहा था. मैं ब्रोकर का नहीं, एक सेतु की भूमिका निभाई थी.

सवाल- चूंकि धान का जिक्र हुआ, इसलिए यह सवाल आपसे हैं कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने बयान में कहा था कि धान खरीदी का लक्ष्य सरकार ने 110 लाख मीट्रिक टन रखा था. राज्य में धान का उत्पादन भी करीब इतना ही है. फिर 149 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी कैसे हो गई?

जवाब – पिछली बार भी 145 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई थी. इस साल 150 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई है. पिछली सरकार में किसानों के खेत का रकबा काट दिया जाता था. पटवारी, आरआई खड़े हो जाते थे. ऐसे लगता था कि किसान खेतों में धान नहीं गांजे की खेती कर लिया है. ये दबाव बनाते रहे बावजूद इसके पिछली सरकार धान खरीदी में 110 लाख मीट्रिक टन तक पहुंची थी. हमने किसानों से एक-एक दाना धान खरीदी का वादा किया था. नेताजी को सरकार की बुराई करनी ही है, तो कुछ और बहाना ढूंढ लेते.

सवाल- सवाल यह भी है कि धान के नाम पर सरकार को करीब आठ-दस हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है?
स्वास्थ्य मंत्री- घाटा और मुनाफा बिचौलिया देखते हैं. व्यापारी देखते है. सरकार नहीं देखती. सरकार का धर्म किसानों के हितों की रक्षा करना है. कांग्रेस हम पर कुछ भी लांछन लगाए हम किसानों का एक-एक दाना धान खरीदते रहेंगे. आप दवा के मंत्री हैं, लेकिन पिछले दिनों आपकी एक तस्वीर आई, जिसमें आप दारू की क्वालिटी की गुणवत्ता की जांच करने शराब दुकान पहुंच गए?

जवाब – मेरे शराब दुकान जाने पर भूपेश बघेल ने कुछ इस तरह से ट्वीट किया जैसे मैं शराब दुकान जाकर वहां पी कर सो गया हूं. मेरी ऐसी छवि बना दी. पिछली सरकार में शराब दुकान केवल पीने वाला और बेचने वाला ही जाता था. शराब दुकान में दो काउंटर थे. एक सरकारी शराब का और दूसरा उनका खुद का. यदि हम शराब दुकान में जाकर यह नहीं देखेंगे कि गुणवत्ता कैसी है, तो यह आरोप लगेगा कि ज्यादा पानी मिलाकर बेचा जा रहा है, नकली शराब बेची जा रही है. शराब दुकान में जो बेचने वाले हैं, जो काम करने वाले हैं, उन्हें यह पता रहे कि राज्य के मंत्री और अधिकारी किसी भी दुकान में आ सकते हैं. सरकार के मंत्री की हैसियत से यह मेरा कर्तव्य था. भविष्य में मैं और शराब दुकानों में जाऊंगा.

सवाल- राज्य में कांग्रेस की जो स्थिति है. नेताओं का आपस में जो टकराव है, उसे लेकर क्या कहेंगे?

जवाब – जब लिटमस पेपर पर केमिकल डालते हैं, तब उस पेपर पर लाल या नीला रंग आ जाता है. इससे पता चलता है कि स्थिति क्या है. कांग्रेस का अगर लिटमस टेस्ट करेंगे तो पता चल जाएगा कि उनकी स्थिति क्या है। ऊपर से ये लोग एक दिखते हैं, लेकिन अंदर में बहुत घमासान मचा है. प्रदेश अध्यक्ष का फैसला पिछले छह महीने से नहीं कर पाए हैं. दिल्ली दरबार में मसला लटका हुआ है. कांग्रेसी हमेशा से लड़ते रहे हैं. बीसों टुकड़ों में यह बंट चुकी है. कांग्रेस में सब स्वयंभू नेता है. न तो इनका कोई विचार है न कोई आदर्श. यह परिवारवाद, वंशवाद, बाहुबल इन सब पर कांग्रेसियों का विश्वास है.

सवाल- भाजपा सरकार पर यह आरोप लगता है कि कांग्रेस की सरकार जिस लाइन को छोड़कर चली गई, उसी लाइन को भाजपा सरकार आगे बढ़ा रही है?

जवाब – सांच को आंच कैसा. सरकार कैसी चल रही है यह किसी के बोलने से प्रमाणित नहीं होगा. सरकार में आने के छह महीने के भीतर विधानसभा का उपचुनाव हुआ. हम रिकार्ड मतों से जीते. एक साल बाद नगरीय निकाय चुनाव हुआ. दस के दस नगर निगम हम जीते. 80 फीसदी नगर पंचायत में जीत मिली. त्रिस्तरीय चुनाव में हम शत प्रतिशत जिला पंचायत चुनाव जीत गए. अब कैसा प्रमाण चाहिए? कांग्रेस के विकास की लाइन दरअसल विनाश की लाइन थी. छत्तीसगढ़ को लूटने का था. हमने उस लाइन को पीछे छोड़ दिया है. भ्रष्टाचार, लूट खसोट, प्रशासनिक आतंकवाद की लाइन को बहुत पीछे छोड़ विकास की लंबी छलांग हम लगा रहे हैं. आज छत्तीसगढ़ की महिलाएं, युवा, किसान हर किसी का ध्यान सरकार रख रही है. सरकार उन्हें सशक्त कर रही है. राज्य की जनता समृद्ध हो रही है.

सवाल- आपने विधानसभा में एक कविता पढ़ी थी. युद्ध नहीं जितने जीवन में, वह भी बड़े अभागे होंगे….आपके जीवन में फिलहाल कौन सा युद्ध चल रहा है?

जवाब – छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने का युद्ध मेरे जीवन में चल रहा है. मैं यह युद्ध उस दिन जीत लूंगा, जिस दिन राज्य के सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट अस्पतालों से रेफर होकर लोग आएंगे. जिस दिन सरकारी अस्पतालों के बेड भर जाएंगे, जिस दिन मंत्री-विधायकों का सोर्स सरकारी अस्पतालों में जाने लगेगा. युद्ध चल रहा है. सफलता असफलता अलग बात है, लेकिन अटल जी की पंक्ति याद आती है कि हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं. स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने हम लगातार चल रहे हैं.

देखें स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल का इंटरव्यू