वट सावित्री व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है. यह व्रत नारी शक्ति की दृढ़ता, आस्था और त्याग का प्रतीक माना जाता है. वट सावित्री व्रत की कथा महाभारत के वनपर्व में वर्णित है.

इसके अनुसार, सावित्री नामक पतिव्रता स्त्री ने अपने तप, बुद्धिमत्ता और अडिग निष्ठा से यमराज से अपने मृत पति सत्यवान का जीवन पुनः प्राप्त किया था. सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर कठोर तप किया था, इसलिए इस व्रत में वट (बरगद) वृक्ष की पूजा की जाती है.
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व्रत की तिथि और पूजा का समय
व्रत तिथि: 26 मई 2025 (सोमवार)
सावित्री व्रत अमावस्या: 25 मई 2025, रात 09:35 बजे से
अमावस्या समाप्ति: 26 मई 2025, शाम 06:20 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से 10:30 बजे तक
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