झारखंड में हुए करोड़ों के शराब घोटाला केस में ACB ने बड़ा एक्शन लिया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को गिरफ्तार कर लिया है। ACB के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एसीबी की एक टीम सुबह चौबे के आवास पर पहुंची और उन्हें पूछताछ के लिए एजेंसी के मुख्यालय ले गई। इसके बाद घंटों हुई पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। एसीबी ने आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह से भी पूछताछ की।
क्या है आरोप ?
एसीबी ने विनय कुमार चौबे पर छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड में नई शराब नीति बनाने और राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाया। पीई की जांच के दौरान एसीबी ने कई बार तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे और गजेंद्र सिंह से पूछताछ की।
बता दें कि आबकारी विभाग के सचिव के रूप में चौबे के कार्यकाल के दौरान आबकारी नीति में हुई अनियमितताओं के आरोप की जांच एसीबी कर रही है। इससे पहले राज्य सरकार ने 1999 बैच के आईएएस अधिकारी चौबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी थी। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित आबकारी घोटाले की जांच के तहत पिछले साल अक्टूबर में चौबे और सिंह से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की थी।
ED ने IAS चौबे को पूछताछ के लिए बुलाया था छत्तीसगढ़
गौरतलब है कि, चौबे को छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में ED ने समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया था। पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि, नई उत्पाद नीति सरकार की मंजूरी से लागू की गई थी, और इसमें उनकी कोई व्यक्तिगत भूमिका या गलती नहीं है। वहीं, इस मामले ने नया मोड़ तब लिया जब झारखंड निवासी एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि झारखंड में जिस शराब घोटाले को अंजाम दिया गया, वह छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट की सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।
छत्तीसगढ़ में हुआ था करोड़ो का शराब घोटाला
2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले में तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव अनिल टुटेजा, राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी, और अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले सिंडिकेट को मुख्य आरोपी बनाया गया।
इसी मामले की गूंज झारखंड तक पहुंची जब रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह ने आरोप लगाया कि घोटाले में शामिल कुछ व्यक्ति झारखंड की नई शराब नीति को आकार देने में भी भूमिका निभा रहे हैं। इस शिकायत के बाद जांच का दायरा बढ़ा और छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एफआईआर दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी।
जांच की आंच झारखंड के वरिष्ठ अफसरों तक जा पहुंची। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के तत्कालीन प्रधान सचिव और आबकारी सचिव रहे IAS विनय चौबे, तथा उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव IAS गजेंद्र सिंह को भी आरोपी बनाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2024 में ECIR दर्ज कर अलग से जांच शुरू की। अक्टूबर 2024 में ईडी ने IAS विनय चौबे समेत कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर दस्तावेज जब्त किए, जिससे इस कथित घोटाले की परतें और खुलने लगीं।
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