देशभर में ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से मशहूर खतरनाक सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा (Devendr Sharma)को दिल्ली पुलिस ने राजस्थान के दौसा जिले से गिरफ्तार किया है. उसे आपराधिक जगत में इस नाम से जाना जाता है. देवेंद्र शर्मा पर हत्या के साथ-साथ किडनी रैकेट में शामिल होने का भी आरोप है. यह गिरफ्तारी एक साल की लंबी खोजबीन के बाद हुई, जब पुलिस ने उसे एक आश्रम से पकड़ा, जहां वह एक फर्जी नाम से पुजारी के रूप में रह रहा था. पुलिस ने उसे दिल्ली लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

उस पर दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 50 से अधिक टैक्सी चालकों की हत्या करने और 1994 से 2004 के बीच अवैध रूप से 125 से ज्यादा किडनी प्रत्यारोपण कराने का आरोप है. देवेंद्र शर्मा, जो पेरोल पर फरार हुआ था, राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में पुजारी के रूप में रह रहा था. पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर उसके नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है.

67 वर्षीय देवेंद्र शर्मा, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का निवासी है, पुलिस के हाथों पकड़ा गया है. उसके खिलाफ हत्या, अपहरण और लूट सहित 27 मामले दर्ज हैं. उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि गुड़गांव की अदालत ने एक टैक्सी चालक की हत्या के मामले में उसे फांसी की सजा भी दी थी. आरोपी ने 50 से अधिक हत्याओं में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है.

उसने स्वीकार किया कि उसने डॉक्टरों और बिचौलियों की सहायता से 125 से अधिक अवैध किडनी प्रत्यारोपण किए. अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री 1994 में एक असफल गैस डीलरशिप से हुए बड़े नुकसान के बाद हुई. इसके बाद उसने एक फर्जी गैस एजेंसी की स्थापना की, जिसके माध्यम से वह अवैध मानव अंगों की तस्करी करने लगा.

दिल्ली में सोलर पैनल लगवाने वालों के लिए खुशखबरी, दिल्ली सरकार देगी 1.08 लाख की सब्सिडी

2004 में अपराधों के उजागर होने के बाद उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे छोड़ दिया था. वर्ष 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया, जिसके बाद से पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी. क्राइम ब्रांच ने अलीगढ़, आगरा, प्रयागराज, जयपुर और दिल्ली में उसके ठिकानों और नेटवर्क पर कड़ी नजर रखी. हाल ही में सूचना मिली कि देवेंद्र शर्मा राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में पुजारी के रूप में छिपा हुआ है.

ऐसे पकड़ा गया

एसीपी उमेश बड़थवाल की टीम ने एक योजना के तहत राजस्थान के दौसा में स्थित एक आश्रम में आरोपी से मिलने के लिए अनुयायी का रूप धारण किया. टीम ने यह सुनिश्चित करने के लिए उस पर निगरानी रखी कि वह वास्तव में डॉ. देवेंद्र शर्मा है या नहीं. जब उसकी पहचान की पुष्टि हो गई, तो टीम ने उसे पकड़ लिया. पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपने आपराधिक अतीत को स्वीकार किया और बताया कि वह पैरोल पर बाहर आया था, यह सोचकर कि वह कभी जेल नहीं लौटेगा.

आयुर्वेदिक डॉक्टर की ली थी डिग्री

अलीगढ़ के निवासी देवेंद्र शर्मा के पिता बिहार के सिवान में एक दवा कंपनी में कार्यरत थे. शर्मा ने 1984 में बिहार से बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री प्राप्त की. स्नातक होने के बाद, उन्होंने राजस्थान के बांदीकुई में जनता क्लीनिक की स्थापना की, जिसे उन्होंने 11 वर्षों तक सफलतापूर्वक संचालित किया.

1995 से 2004 के बीच वारदातों को दिया अंजाम

आरोपी देवेंद्र शर्मा ने 1995 से 2004 के बीच अवैध गैस एजेंसी, किडनी रैकेट और टैक्सी चालकों के अपहरण और हत्या में संलिप्तता दिखाई. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर टैक्सी और ट्रक चालकों की हत्या की और शवों को यूपी के कासगंज में हजारा नहर में मगरमच्छों के हवाले कर दिया, ताकि कोई सबूत न मिल सके. इसके अलावा, देवेंद्र ने 1998 से 2004 के बीच एक अन्य डॉक्टर अमित के साथ मिलकर अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चलाया, जिसमें उसने 125 से अधिक ट्रांसप्लांट में मध्यस्थ की भूमिका निभाई और प्रत्येक मामले में पांच से सात लाख रुपये की राशि ली.