Supreme court On Waqf Act Amendment: वक्फ एक्ट संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन (बुधवार) सुनवाई जारी है। दूसरे दिन केंद्र सरकार ने वक्फ कानून पर अपना पक्ष रखा है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून का पक्ष मजबूती से रखा है। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए हमने 97 लाख लोगों से राय ली है। याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय को रिप्रेजेंट नहीं करते हैं। 1923 से 1995 के वक्फ कानून तक व्यवस्था थी कि सिर्फ मुस्लिम ही वक्फ कर सकता था। 2013 में चुनाव से पहले कानून बना दिया गया कि कोई भी वक्फ कर सकता है।
एसजी ने बताया कि 25 वक्फ बोर्डों से राय ली गई, जिनमें से कई ने खुद आकर अपनी बातें रखीं। इसके अलावा राज्य सरकारों से भी सलाह-मशविरा किया गया. तुषार मेहता ने बताया कि “संशोधन के हर क्लॉज पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। कुछ सुझावों को स्वीकार किया गया, जबकि कुछ को नहीं माना गया।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीआर गवई ने सवाल उठाया कि उनका तर्क है कि इस मामले में सरकार अपना दावा खुद तय करेगी? इस पर SG मेहता ने कहा, “यह बात सही है कि सरकार खुद के दावे की पुष्टि नहीं कर सकती। शुरुआती बिल में कहा गया था कि कलेक्टर फैसला करेंगे। आपत्ति यह थी कि कलेक्टर अपने मामले में न्यायाधीश होंगे. इसलिए जेपीसी ने सुझाव दिया कि कलेक्टर के अलावा किसी और को नामित अधिकारी बनाया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्व अधिकारी केवल रिकॉर्ड के लिए निर्णय लेते हैं, टाइटल का अंतिम निर्धारण नहीं करते।
SG मेहता ने कहा, “सरकार ज़मीन को सभी नागरिकों के ट्रस्टी के रूप में रखती है। वक्फ उपयोग के आधार पर होता है- यानी वह ज़मीन किसी और की है, लेकिन उपयोगकर्ता ने लम्बे समय तक प्रयोग किया है। ऐसे में जरूरी रूप से यह या तो निजी या सरकारी संपत्ति होती है। अगर कोई भवन सरकारी ज़मीन पर है, तो क्या सरकार यह जांच नहीं कर सकती कि संपत्ति उसकी है या नहीं?” यही प्रावधान धारा 3(C) के अंतर्गत किया गया है।
बता दें कि मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी। इसमें याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन ने दलील दीं। आज एसजी तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखते हुए कहा कि 1923 से 1995 के कानून तक व्यवस्था थी कि सिर्फ मुस्लिम ही वक्फ कर सकता था, लेकिन साल 2013 में चुनाव से पहले कानून बना दिया गया कि कोई भी वक्फ कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे सुधारा है और वक्फ करने के लिए कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन करने की शर्त रखी गई है।
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एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘अगर कोई किसी जगह का इस्तेमाल कर रहा है, उसके पास उस जगह के कागज नहीं हैं और उसका दावा है कि यह अनरजिस्टर्ड वक्फ बाय यूजर है। सरकार के रिकॉर्ड में संपत्ति सरकारी है तो क्या इसकी जांच नहीं होगी? याचिकाकर्ताओं ने कल सुनवाई में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि 100-200 साल पुराने वक्फ के कागजात कहां से आएंगे।
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई के सवाल
एसजी तुषार मेहता की दलील पर मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई ने कहा कि लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार खुद ही अपने दावे की जांच करेगी। तुषार मेहता ने कहा, ‘भू-राजस्व रिकॉर्ड की जांच रेवेन्यू अधिकारी करेंगे. वह कोई अंतिम स्वामित्व नहीं तय कर देंगे। प्रभावित पक्ष के पास कोर्ट जाने का रास्ता है।
केंद्र सरकार का जवाब
एसजी मेहता ने कहा कि लोगों को कलेक्टर की जांच से दिक्कत थी, तो दूसरा अधिकारी तय किया गया। वह सिर्फ रेवेन्यू रिकॉर्ड की जांच कर संशोधन करेगा। सीजेआई ने एसजी से पूछा कि यानी सिर्फ कागजों में एंट्री होगी। तुषार मेहता ने सीजेआई गवई के सवाल पर कहा, ‘जी हां, अगर सरकार को स्वामित्व चाहिए होगा तो वह भी सिविल केस दाखिल करेगी।
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