सुप्रीम कोर्ट(Suprem Court) ने बुधवार को पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर (Pooja Khedkar) को अग्रिम जमानत प्रदान की, जिन पर 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में पात्रता प्राप्त करने के लिए दस्तावेजों में जालसाजी का आरोप है. न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को धोखाधड़ी मामले की जांच में सहयोग करने का निर्देश भी दिया. हालांकि, दिल्ली पुलिस(Delhi Police) के वकील ने खेडकर की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने जांच में असहयोग किया है और उनके खिलाफ आरोप गंभीर हैं.

नेशनल हेराल्ड केसः ‘सोनिया-राहुल गांधी ने कमाए 142 करोड़ रुपये’, केस बनता है, ED ने कोर्ट में पेश की दलील

पीठ ने स्पष्ट किया कि आरोपी ने कौन सा गंभीर अपराध किया है. वह न तो मादक पदार्थों के माफिया हैं और न ही आतंकवादी. उन पर हत्या का आरोप (धारा 302) नहीं है, और वे एनडीपीएस अधिनियम के तहत भी अपराधी नहीं हैं. न्यायालय ने सुझाव दिया कि आपके पास एक प्रणाली या सॉफ्टवेयर होना चाहिए ताकि जांच पूरी की जा सके. आरोपी ने अपनी सारी संपत्ति खो दी है और अब उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिलेगी.

पीठ ने कहा कि मामले की तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, यह उचित है कि दिल्ली उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता को जमानत प्रदान करे. दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस के वकील ने खेडकर को अग्रिम जमानत देने के खिलाफ कड़ा विरोध किया, यह कहते हुए कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं.

मुर्शिदाबाद हिंसा रिपोर्ट पर भाजपा हमलावर, कहा- ‘ममता बनर्जी सरकार की क्रूरता हुई उजागर’

खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते समय गलत जानकारी प्रदान की. हालांकि, उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है.

UPSC ने खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई की है, जिसमें फर्जी पहचान के माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करना शामिल है. इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी भी दर्ज की है.

भारत के सिंधु नदी पानी रोकने से परेशान पाकिस्तान में पानी के लिए हाहाकार, प्रदर्शनकारियों ने होम मिनिस्टर का घर फूंका

क्या है मामला?

पूजा खेडकर को सहायक कलेक्टर के पद पर नियुक्ति मिलने के तुरंत बाद उनकी विशेष मांगों को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया. इसके बाद उन पर विकलांग और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के फर्जी प्रमाणपत्रों के माध्यम से नौकरी प्राप्त करने का आरोप लगा. जांच के परिणामस्वरूप, UPSC ने उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया और भविष्य में परीक्षा देने पर रोक लगा दी. इसके साथ ही, उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की गई. दिल्ली की निचली अदालत और उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद, वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंची.