जो लोग विवाह, सगाई, गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्यों की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह जानकारी बेहद अहम है. 12 जून 2025 से शुभ कार्यों पर लंबा विराम लगने जा रहा है, जो लगभग 5 महीनों तक यानी 7 नवंबर 2025 तक रहेगा. इस विराम के दो प्रमुख ज्योतिषीय कारण हैं.

  1. गुरु तारा अस्त होना
  2. देवशयन व चातुर्मास का प्रारंभ

12 जून 2025, गुरुवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गुरु (बृहस्पति) का तारा अस्त हो जाएगा. गुरु विवाह, विद्या और धर्म के कार्यों का मुख्य कारक माना जाता है. जब इसका तारा अस्त होता है, तो वैवाहिक और शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक गुरु तारा पुनः उदित नहीं हो जाता. इस वर्ष गुरु तारा 5 जुलाई 2025, शनिवार को आषाढ़ शुक्ल दशमी के दिन पुनः उदित होगा.

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हालांकि इसके तुरंत बाद भी शुभ कार्यों की अनुमति नहीं होगी, क्योंकि उसी समय से चातुर्मास और देवशयन की अवधि शुरू हो रही है. देवशयन एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, और उनके जागने तक यानी 7 नवंबर 2025 (देवउठनी एकादशी) तक मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं. इसलिए जिन परिवारों ने विवाह या अन्य संस्कार की योजना बनाई है, वे 12 जून से पहले ही मुहूर्त देखकर आयोजन करें, अन्यथा नवंबर तक इंतजार करना होगा.