रायपुर। भ्रष्टाचार और अनियमितताएं विकास के मार्ग का सबसे बड़ा अवरोध होती हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है, जिसके तहत दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। अपने सख्त रवैए से मुख्यमंत्री ने एहसास दिला दिया है कि अब किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली सरकार ने अपने कार्यकाल के अल्प समय में कई चुनौतियों को पार करते हुए कई कड़े और बड़े फैसले लिए हैं, जिसका सुखद नतीजा भी सामने आने लगा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी आमजन के अधिकारों का दुरुपयोग न करे, और यदि करता है तो उसे तत्काल विधि सम्मत कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।” छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने सुशासन तिहार के दौरान स्पष्ट किया है कि जनकल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस कार्रवाई को सुशासन तिहार के मूल उद्देश्य का प्रमाण बताया और कहा कि “जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी सर्वोपरि है।”

क्या है जीरो टॉलरेंस?

किसी भी गलत व्यवहार को बर्दाश्त न करने को ही जीरो टॉलरेंस का अर्थ है। यह एक नीति है जो किसी संगठन या प्रणाली में किसी भी नियम या कानून का शून्य सहिष्णुता या कड़ाई से पालन करवाती है। शून्य सहनशीलता नीति का अर्थ है कि कानून तोड़ने या नियमों का उल्लंघन करने के किसी भी स्तर को सहन नहीं किया जाना। प्रत्येक उल्लंघन के लिए, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, उसके लिए निर्धारित सजा दी जाएगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ शत प्रतिशत जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार अब किसी भी प्रकार की अनियमितता को सहन करने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि राज्य में सुशासन के मद्देनजर शासकीय कार्यों में अनियमितता पाए जाने पर सख्ती से कार्रवाई हो रही है।

प्रदेश के सुदूर अंचलों तक जा पहुंचा है साय सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पूरी कठोरता के साथ उद्घोष किया है कि “भ्रष्टाचार में लिप्त दोषी अधिकारी-कर्मचारी बख्शे नहीं जाएंगे।” सुशासन को मूलमंत्र मानने वाली छत्तीसगढ़ सरकार विकास के साथ ही साथ प्रदेश से भ्रष्टाचार को भी दूर करने की कोशिश कर रही है। साय सरकार को काम में गुणवत्ता भी चाहिए और भ्रष्टाचार से मुक्ति भी। उन्होंने दफ्तरों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को भ्रष्टाचार नहीं करने के सख्त निर्देश दिए हैं। ज़ीरो टॉलरेंस नीति की शक्ल में छत्तीसगढ़ में शासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। हाल ही में ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत मुख्यमंत्री साय के निर्देश पर बेमेतरा जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में रिश्वत मांगने वाले तीन संविदा कर्मियों पर लगे आरोप सही पाए जाने पर तत्काल सेवा से पृथक कर दिया गया। ऐसे ही छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल, जगदलपुर के कार्यपालन अभियंता सी. के. ठाकुर और सहायक अभियंता नीरज ठाकुर को निर्माण कार्य में अनियमितताएं पाए जाने पर तत्काल निलंबित किया गया है। बीजापुर जिले के भैरमगढ़, भोपालपट्टनम और उसूर ब्लॉकों में जीएडी आवास भवनों के निर्माण कार्यों में मिली शिकायतों के बाद मुख्यालय स्तर पर उसकी सख्त जांच हुई और दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई की गई।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को लेकर सख्त निर्देश अधिकारियों को दिए थे। मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार को लेकर कड़ाई जमीनी स्तर पर भी उतनी ही सख्त नजर आ रही है। इसकी बानगी एक बार फिर सरकार की त्वरित कार्रवाई से दिखती है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा छापी गई शैक्षणिक सत्र 2024-25 की नई किताबों को कबाड़ में बेचे जाने की घटना के प्रकाश में आने पर तत्काल गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले को इस घटना की जांच के निर्देश दिए थे। जांच के उपरांत छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक, राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर प्रेम प्रकाश शर्मा की प्रथम दृष्टया लापरवाही परिलक्षित होने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम, 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

राज्य के बड़े भ्रष्टाचार घोटालों पर साय सरकार की बड़ी कार्रवाईयां

छत्तीसगढ़ में हाल के वर्षों में कई बड़े भ्रष्टाचार घोटाले सामने आए हैं। इन घोटालों के सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने सुशासन तिहार के तीसरे चरण के दौरान एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार के प्रति उसकी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की है। राज्य की साय सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों में ज़रा भी अनियमितता और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर रही है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की 2022 की परीक्षा में भाई-भतीजावाद और अनियमितताओं के आरोप लगे। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव और अन्य अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों और प्रभावशाली व्यक्तियों के परिजनों को डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी एसपी जैसे पदों पर नियुक्त कराया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सीबीआई ने रायपुर और भिलाई में छापेमारी कर जांच शुरू की।

मुख्यमंत्री साय ने कहा है कि “यह सुशासन की सरकार है और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस है। किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के द्वारा अपने शासकीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बर्दाश्त नही की जाएगी तथा लापरवाह अधिकारियों पर तत्काल कड़ी कारवाई सुनिश्चित की जाएगी।” कोरबा जिले में जिला खनिज निधि (DMF) के तहत 90 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला उजागर हुआ। ईडी और EOW की जांच में पाया गया कि निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू और अन्य अधिकारियों ने टेंडर आवंटन में भारी अनियमितताएं कीं। मनोज कुमार द्विवेदी के एनजीओ ‘उदगम सेवा समिति’ को टेंडर दिए गए, जिसमें 40% तक कमीशन दिया गया। ईडी ने 23.79 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की है।

इसी तरह छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) में 660 करोड़ रुपये के रिएजेंट और मेडिकल उपकरणों की खरीद में अनियमितताएं पाई गईं। EOW की जांच में सामने आया कि 8 रुपये की EDTA ट्यूब को 2,352 रुपये में और 5 लाख की मशीन को 17 लाख में खरीदा गया। इस मामले में पांच अधिकारियों को जेल भेजा गया है।

रायपुर-विशाखापट्टनम सिक्स लेन ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में 43 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। एसडीएम, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने मिलकर जमीन को टुकड़ों में बांटकर एनएचएआई को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया। इस मामले में डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को निलंबित किया गया है।

संपत्ति पंजीयन विभाग में भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, जहां अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन कर अवैध रूप से संपत्तियों का पंजीयन किया। राज्य सरकार ने इन मामलों की जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

गुड गवर्नेंस एंड कन्वर्जेंस विभाग छत्तीसगढ़ में शासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित कर रहा है। इस विभाग का दखल दूसरे सभी 57 विभागों में है राज्य सरकार का यह 58वां विभाग बना। यह विभाग जनता की समस्या और उसके समाधान के अलावा सरकारी तंत्र में लेटलतीफी और रिश्वत के मामलों को निपटाने की जिम्मेदारी भी उठाता है।

छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने ‘जीरो टॉलरेंस’ और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए ई-ऑफिस प्रणाली, मुख्यमंत्री कार्यालय ऑनलाइन पोर्टल और ‘स्वागतम्’ पोर्टल की शुरुआत की है, जिससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता और बढ़ी है।राज्य के मुखिया के निर्देश पर प्रदेश जिस दिशा में अग्रसर है वो प्रदेश में राम राज्य की सम्भावनाओं को बढ़ाने वाला है।