Bangladesh Politics Crisis: एक बार फिर से बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहराने लगा है। शेख हसीना सरकार की तख्तापलट के आई मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus ) सरकार से एक साल के अंदर ही लोगों का मन भरने लगा है। बांग्लादेश में अब मोहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ बगावत के सुर उठने लगे हैं। ढाका की सड़कों पर हजारों की संख्य़ा पर लोग उतरकर मोहम्मद यूनुस सरकार का विरोध किया।

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वहीं बांग्लादेश में गहरे राजनीतिक संकट के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस भी अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने ढाका में एडवाइजरी काउंसिल की एक बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात में काम करना उनके लिए असंभव होता जा रहा है।

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म्यांमार सीमा पर मानवीय गलियारा और सेना की नाराजगी
एक और महत्वपूर्ण मोड़ आया जब यह खुलासा हुआ कि यूनुस सरकार ने अमेरिका के साथ मिलकर बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर एक मानवीय गलियारा स्थापित करने की योजना बनाई थी। इस डील को गुप्त रूप से अंजाम दिया गया, जिससे सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान नाराज हो गए। उन्होंने दिसंबर तक चुनाव करवाने का अल्टीमेटम देते हुए सरकार को चेतावनी भी दी। इससे स्पष्ट है कि देश की सिविल और सैन्य व्यवस्था के बीच भारी टकराव है, जो भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।

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विपक्ष और छात्र संगठनों का विरोध

यूनुस न केवल राजनीतिक पार्टियों से बल्कि छात्र संगठनों और आम जनता से भी घिरे हुए हैं। विरोधी दलों ने इस साल के अंत तक चुनाव कराने की मांग को लेकर सड़क पर प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। महफूज आसिफ और खलीलुर्रहमान जैसे नेताओं को सरकार से बाहर निकालने की मांग ने इस विरोध को और हवा दी है। इससे पता चलता है कि जनता और राजनीतिक संगठन अब मौजूदा सरकार से पूरी तरह से असंतुष्ट हैं।

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छात्रों का मोहम्मद यूनुस सरकार पर गुस्सा

पिछले साल पांच अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस सरकार को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया था। वह कुछ ही महीनों के लिए अंतरिम सरकार के प्रमुख बने थे। दावा किया गया था कि अगले कुछ महीनों में चुनाव कराया जाएगा लेकिन आठ महीने बाद भी चुनाव नहीं कराने से छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। बांग्लादेश में छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और मोहम्मद यूनुस सरकार पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बनी थी यूनुस सरकार
बांग्लादेश की यह अंतरिम सरकार पिछले साल शेख हसीना के अचानक भारत भाग जाने और तख्तापलट के बाद बनाई गई थी। तब से यूनुस को एक स्थायी सरकार के गठन तक देश को स्थिर रखने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि यह प्रयोग अब विफलता की ओर बढ़ रहा है।

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