रायपुर. राजधानी के पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के अंदर पूर्व कुलपति दत्ता हर्षवर्धन तिवारी का निजी मकान बना हुआ है, लेकिन विश्वविद्यालय उनके आने जाने वाले रास्ते को बंद कर दीवार खड़ा कर दिया है, जिससे उनके बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में पूर्व कुलपति को हाईकोर्ट से स्टे भी मिल गया, उसके बावजूद आनन फ़ानन में विश्वविद्यालय ने रास्ते पर दीवार उठाकर आने जाने में पाबंदी लगा दी है. मामले की जानकारी लगते ही क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय, कांग्रेस नेत्री किरणमयी नायक और आकाश तिवारी मौके पर पहुंचकर आने जाने में लगाई रोक को हटाने की मांग की है.

पूर्व कुलपति की पत्नी गीता तिवारी का कहना है कि वो 1974 से इस रास्ते से आना जाना कर रहे हैं. कल उन्हें हाईकोर्ट से स्टे मिल गया था, पर ऑर्डर की कॉपी हाथ में आने में टाइम लगता है तो हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचना दी कि मौखिक स्टे हो गया है. उसके बावजूद रास्ते पर दीवार उठाई गई और आज इसके बाद स्टे के बाद पलस्तर कर दिया गया. जिससे वो परेशान हो गए है. उनकी उम्र 70 साल है और उनकी तबियत भी खराब रहती है जिस वजह से अस्पताल जाना पड़ता है. इस रास्ते पर सात-आठ सालों से केस चल रहा था तो उन्होंने कहा था कि हम केस जीत गए है और रास्ता बंद करेंगे, तो हमने कहा था कि हमें थोड़ा सा समय दीजिए. दो दिन से हम हाउस में अरेस्ट हो गए है. पिछली बार कोर्ट ने कहा था कि इनका अगर रास्ता नहीं है तो इस रास्ते से आने दे. परिवार के किसी भी लोग बाहर नहीं जा पा रहे है.

विधायक विकास उपाध्याय का कहना है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के ये मतदाता है. एक महत्वपूर्ण व्यक्ति भी है पहले कुलपति रहे है. 1975 से यह जमीन उन्होंने खरीदी थी और अपना मकान को रिटायरमेंट होने के बाद बना लिया था. पूरा परिवार रहता है और विश्वविद्यालय प्रशासन स्टे होने के बावजूद दीवार खड़ा कर दिया. एक परिवार पिछले दो दिन से घर में बंद है. यहां पहुंचकर विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन से मांग की है कि इस दीवार को तोड़ा जाए और पहले जो रास्ता था वो ऐसा ही रहे.

कांग्रेस नेत्री किरणमयी नायक ने कहा कि एक तरीके से स्टे का उल्लंघन किया जा रहा है जो तो गलत है. किसी भी व्यक्ति के घर को जेल नहीं बना सकते. उनके पास यदि आने जाने का रास्ता नहीं है और 45 साल से इस रास्ते का उपयोग कर रहे है. विश्विद्यालय ने दीवार तो खड़ी कर दी, लेकिन ये अगर दीवार फांदकर आते है तो कानूनन अपराध है. विश्वविद्यालय क्या मौलिक अधिकार का हनन करेगा. कलेक्टर से बात कर इस मामले के संज्ञान लेकर कार्रवाई करने को कहा है. यदि इन परिवार के किसी भी को कुछ हुआ तो कुलपति और जिला प्रशासन जिम्मेदार रहेगा.