विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में गांव की सरकार बनाने की तैयारियां तेज़ हो गई है. इसके लिए प्रशासन ने अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाना भी शुरू कर दिया है. जरूरी प्रक्रिया जैसे चुनाव से पहले गांवों का परिसीमन करना, नाम जोड़ना या घटाना इत्यादि प्रक्रिया शुरू हो गई है. ग्राम पंचायत, राजस्व ग्राम शहरी क्षेत्र में शामिल हुए गांव जबकि इन ग्रामों के शामिल होने से बदली स्थिति का आंकलन भी प्रशासन ने तेज कर दिया है. इसके लिए 5 जून तक प्रस्ताव मंगाए गए हैं. जिलों से आंशिक पुनर्गठन के प्रस्ताव 5 जून तक मांगे गए है.

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गांव की सरकार से ही 27 का आंकड़ा होगा साफ

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव किसी विधानसभा के चुनाव से कम नहीं होता है. हालांकि, गांव की सरकार में पार्टी सिम्बल प्रत्याशी तो नहीं होते हैं, लेकिन समर्थित प्रत्याशी ज़रूर आते हैं. लेकिन इस बार का त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव सत्ता में बैठी भाजपा के लिए चुनौती से कम नहीं होगा.

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यूपी में बीजेपी सरकार के सहयोगी अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा अगले साल जनवरी में होने वाले पंचायत चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लोकल चुनाव में पार्टी का सिंबल नहीं होता, इसलिए पार्टी का भी बहुत प्रभाव नहीं रहता. हां जो लोग पार्टी के साथ मजबूती से जुड़े होते हैं, वह अपने कैंडिडेट को ज़रूर चुनते हैं.