रायपुर। छत्तीसगढ़ में गो भक्ति और सेवा के पर्याय रहे सेठ रामजी लाल अग्रवाल अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। लेकिन समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए उनके अनगिनत कार्य सदा आदर्श स्थापित करने वाले ही रहेंगे। छत्तीसगढ़ के सभी समाजों के साथ समन्वय बनाकर चलने वाले रामजी लाल अग्रवाल सामाजिक कार्यों के सच्चे सिपाही रहे। अमीर-गरीब की भावना से परे होकर उन्होंने हर वर्ग के साथ खुद को जोड़े रखा है। उन्होंने जीवन को ऐसी दिशा दी कि बाद में वही परिवार के सदस्यों के लिए आदर्श बनते चले गए।

गौ सेवा के लिए उन्होंने अपनी पूरी उम्र लगा दी। जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव में गौ भक्ति से जुड़े राज्य के सबसे बड़े गौशाला के संचालक बन गए। महावीर गौशाला के जरिए उन्होंने अपने आपको धीरे-धीरे पूरी तरह आत्मसात कर लिया। गौशाला जाना नियमित दिनचर्या का हिस्सा हो गया और जीवन का मूल मकसद भी।

उन्होंने समाज के साथ-साथ सरकारों को यह संदेश दिया है कि पृथ्वी में तमाम कार्यों और भक्ति के साथ गौ सेवा और गौ भक्ति भी उतनी ही जरूरी है जितनी अन्य। गौधन हमारी मूल पूंजी है। गौ पालन प्रत्येक जन को करना चाहिए। मनुष्यों में गौमाता सिर्फ नारों में न रहें, उनके जीवन का अभिन्न अंग भी बनें।

संघर्षों के साथ अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाने वाले रामजी लाल अग्रवाल सदैव सहज और सरल भी बने रहे। धन से धनवान और मन से मूल्यवान के बीच उन्होंने जीवन को ऐसा बनाया कि वे अच्छा इंसान सबसे पहले बन सके। अपनी नेकदिली और साफ नीयत के साथ उन्होंने समाज के सभी वर्गों के बीच एक खास जगह बनाई।

इन सबसे उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और प्रगति मिली। लोगों से भरपूर प्यार मिला। सिद्धि और प्रसिद्धि मिली। लेकिन उन्होंने कभी इसका दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने खुद को समाज के लिए ही पूरी तरह समर्पित रखा। वे राजनीति से पूरी तरह दूर रहे। बेटा बृजमोहन अग्रवाल जरूर राजनीति में चले गए, लेकिन रुचि तब भी समाजसेवा में बनी रही। यही वजह है कि वे सभी राजनीतिक दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए प्रिय रहे। उन्होंने कभी किसी के साथ कोई राजनीतिक मतभेद नहीं रखा। सत्ता के जो भी पक्ष और विपक्ष में रहे, सभी उनके लिए समान ही रहे।

सामाजिक कार्यकर्ता मनमोहन अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने रामजी लाल अग्रवाल में सदैव सुकून और शांति देखी। वे धूप में छाँव जैसे रहे। वे शहर में गाँव जैसे रहे। मैंने उन्हें समाज के उन विरले लोगों में पाया, जो सच में खुद से कहीं ज्यादा समाज के लिए जीते हैं। छोटे-बड़े सभी के साथ उनका प्रेम और स्नेह अद्भुत रहा। उनका जाना निश्चित तौर पर समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति है। आज उनके निधन से प्रदेश के सभी समाजों में शोक की लहर है। जिन्होंने भी उनका स्नेह पाया होगा, उनकी आँखें स्वाभाविक रूप से भर आई होंगी।

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