रायपुर। ‘मोदी की गारंटी’’ और ‘विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन’’ से छत्तीसगढ़ अपना कदम डिजिटल युग में रख चुका है। डिजिटल क्रांति से न केवल छत्तीसगढ़ का वर्तमान संवर रहा है, बल्कि डिजिटल क्रांति से आने वाले समय में निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ देशभर के लिए एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित होगा। 21वीं सदी में डिजिटल तकनीक ने शासन और प्रशासन के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया है। शासकीय कामकाज में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता की प्रतीक्षा आम जन को सदा से ही रही है और इसके लिए तकनीकी नवाचारों का उपयोग अनिवार्य हो गया है। छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने ई-ऑफिस प्रणाली को अपनाकर राज्य में सुशासन की स्थापना सुनिश्चहित कर दी है। ई-ऑफिस का उद्देश्य शासकीय काम-काज में पारदर्शिता, त्वरित निर्णय-प्रक्रिया और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है।
ई-ऑफिस प्रणाली
ई-ऑफिस एक एकीकृत फाइल और रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली है, जो सरकारी कार्यालयों में कागज रहित कार्यप्रणाली को बढ़ावा देती है। इसके माध्यम से फाइलों का निर्माण, ट्रैकिंग, अनुमोदन और संग्रहण डिजिटल रूप से होता है, जिससे कार्यों की गति मिलती है और उसके पारदर्शिता में वृद्धि होती है। ’’ई-ऑफिस’’ प्रणाली के माध्यम से सरकारी दस्तावेजों का प्रबंधन, सुरक्षा और फाइलों का निपटारा तेजी से हो जाता है। इससे न केवल सरकारी कार्यप्रणाली सरल हो जाती है बल्कि नागरिकों को भी राज्य के विकास में भागीदार बनाया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ में ई-ऑफिस की शुरुआत
21 अगस्त 2024 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य के प्रशासनिक कार्यों में ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता को आगे बढ़ाने के लिए तीन नए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का अनावरण किया था, जिसमें ई-ऑफिस सिस्टम के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) पोर्टल और ‘स्वागतम’ पोर्टल शामिल थे। ये सभी उपकरण विभिन्न सरकारी कार्यों में आईटी समाधानों को एम्बेड करके दक्षता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 1 जनवरी 2025 को विभागीय सचिवों की बैठक में सभी विभागों और कार्यालयों में ई-ऑफिस लागू करने के निर्देश देते हुए इसे सभी विभागों में 31 मार्च 2025 तक इसका पूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा था। छत्तीसगढ़ सरकार ने ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ई-ऑफिस प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू किया है। पहले इसे सामान्य प्रशासन विभाग में शुरू किया गया था और अब इसे मंत्रालय के सभी विभागों में विस्तारित कर दिया गया है। जिला स्तर पर भी इसे लागू करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। छत्तीसगढ़ में सक्ती पहला ऐसा जिला है, जहां ई-ऑफिस पूरी तरह से लागू हुआ था। राज्य के मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि “अब से सभी विभागों में फाइलों की डिजिटल स्वीकृति सुनिश्चित की जाए, ताकि सरकारी कार्यों में अनावश्यक देरी समाप्त हो और प्रशासनिक निर्णयों को त्वरित रूप से लागू किया जा सके।”

ई-ऑफिस प्रणाली के लाभ
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिशा निर्देश पर बने ई-ऑफिस प्रणाली से फाइलों की रियल-टाइम ट्रैकिंग से पारदर्शिता बढ़ने के साथ-साथ शासकीय कार्यों की निगरानी आसान हो रही है। डिजिटल फाइलों के माध्यम से निर्णय-प्रक्रिया तेज हो रही है, कार्यों की दक्षता बढ़ रही है। फाइलों की डिजिटल ट्रैकिंग से अनियमितताओं की संभावना कम हो रही है। कागज, मानव संसाधन और परिवहन लागत में बचत हो रही है। माननीय मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि “छत्तीसगढ़ में ई-गवर्नेंस को सुशासन के प्रभावी उपकरण के रूप में अपनाया गया है, यह प्लेटफॉर्म सुशासन और डिजिटल एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि नई प्रणालियों से देरी कम होगी, त्रुटियां कम होंगी और फाइलों की निर्बाध ट्रैकिंग संभव होगी।फाइलों की रियल-टाइम ट्रैकिंग, डिजिटल दस्तावेजों की सुरक्षा और डुप्लिकेशन रोकने के लिए केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन की सुविधा शामिल है। डिजिटल ऑफिस प्रणाली का उद्देश्य फाइल प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना, कागजी कार्रवाई को कम करना तथा दस्तावेजों को छेड़छाड़ या नुकसान से बचाना है।”
छत्तीसगढ़ सरकार डिजिटल गवर्नेंस को हर स्तर पर सशक्त बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “डिजिटल इंडिया” अभियान को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने ई-गवर्नेंस को प्रभावी रूप से लागू कर दिया है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “ ई-ऑफिस प्रणाली से सरकारी सेवाएं तेजी से और आसानी से जनता तक पहुंचेंगी। प्रशासनिक निर्णयों को शीघ्र लागू किया जा सकेगा। ई-ऑफिस का सफल क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के अग्रणी राज्यों में शामिल करने की दिशा में एक ठोस कदम होगा।” छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने कामकाज का तरीका बदल दिया है ई-ऑफिस प्रणाली आने के बाद से जानता आशान्वित हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार में अब ऑनलाइन ही नोटशीट लिख ली जाएगी, फ़ाइलें अब ज़्यादा देर तक टेबल में नही रुकी रहेंगी। फाइलों की सीधी मॉनीटरिंग अब सीएम सचिवालय करेगा। तय समय सीमा पर फाइलों का निपटारा होगा। इसके साथ ही दस्तावेज में हेरफेर दस्तावेजों के खोने, ग़ायब होने या उसमें छेड़छाड़ की सभी सम्भावनाएँ समाप्त हो जाएँगी। प्रशासन इसके माध्यम से अधिकारियों के कामकाज की मानिटरिंग भी आसानी से कर पाएगा। आम लोगों के लिए भी अपने आवेदन का स्टेटस घर बैठे आसानी से जान पाएँगे।

प्रशिक्षण और जागरूकता दोनों जरूरी
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और कर्मचारियों को ई-ऑफिस के प्रशिक्षण की सुविधा देने की बात कही, ताकि सभी विभागों में इसे प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। इसके बाद ई-ऑफिस प्रणाली के सफल क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। अब वे इस नई प्रणाली को समझकर प्रभावी ढंग से काम को अंजाम दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ का डिजिटल सफर न केवल राज्य को प्रगति के पथ पर ले जाएगा, बल्कि यह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी राज्य को तैयार कर रहा है। डिजिटल माध्यमों का प्रभावी उपयोग जहां सरकारी प्रक्रियाओं को तेज और पारदर्शी बना रहा है, वहीं यह नागरिकों के लिए भी एक आसान और त्वरित सेवा का माध्यम बन रहा है।
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