प्रमोद निर्मल, मोहला-मानपुर. छत्तीसगढ़ की अहम नदियों में से एक शिवनाथ नदी पर मानपुर जिले में बना मोंगरा बैराज इन दिनों सूखे की मार झेल रहा है। करीब दो दशकों में पहली बार ऐसी नौबत आई है कि बैराज में केवल 2 MCA पानी ही शेष बचा है, जबकि लगभग 12 MCA पानी बैराज में अभी होना था। समय पर बारिश नहीं हुई तो इलाके में पेयजल संकट गहराने की संभावना है।

बता दें कि वर्तमान में 90 से 95 फीसदी हिस्सा पूरी तरह सुख चुका है, शेष हिस्से में जो थोड़ा पानी बचा है इसी पर उम्मीद टिकी हुई है कि कम से कम मोहला मानपुर जिले में पेयजल और सिंचाई की व्यवस्था इससे पूरी हो सके। वहीं मोहला मानपुर के अलावा अन्य जिले को अब पानी निकट भविष्य में नहीं मिल पाएगा, इसके आसार ज्यादा दिख रहे हैं।

एक तरफ मौसम की मार के चलते मोंगरा बैराज भारी सूखे की चपेट में आ गया है, वहीं दूसरी ओर हाल ही में बीते अप्रैल माह में मोंगरा बैराज से 15 MCA पानी राजनांदगांव नगर निगम के लिए छोड़ा गया है। लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने मोंगरा जलाशय का जायजा लिया, जहां अब हालात ऐसे हैं कि मोहला मानपुर जिले के कई हिस्सों समेत समीपवर्ती राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा समेत अन्य जिलों को भी पानी बांटने वाला ये मोगरा बैराज आज खुद पानी को तरस रहा है।

आने वाले दिनों में पेयजल संकट गहराने के आसार

आमतौर पर अपनी लबरेज पानी के चलते आकर्षण का केंद्र बने रहने और किसानों, ग्रामीणों, नगरवासियों के पेयजल आपूर्ति व सिंचाई में अहम किरदार निभाने वाले इस मोंगरा जलाशय का करीब 90 से 95 प्रतिशत हिस्सा किसी बंजर जमीन की तरह नजर आ रहा है। बैराज की इस दुर्दशा से पेयजल व सिंचाई के लिए इस बैराज पर आश्रित इलाकों में आने वाले दिनों में पेयजल संकट गहराने के आसार दिख रहे हैं। वहीं बैराज के सूखेपन ने यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या को भी कम कर दिया है।

अजीत जोगी के कार्यकाल में रखी गई थी बैराज की नींव

गौरतलब है कि प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में इस मोंगरा बैराज के निर्माण की नींव रखी गई थी, जो अगले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में अस्तित्व में आया था। मोंगरा बैराज की एसडीओ भूमिका के मुताबिक, अपने निर्माण के बाद करीब दो दशकों में कभी ये बैराज इस कदर नहीं सूखा था। सूखे के चलते निकट भविष्य में राजनांदगांव नगर निगम को फिलहाल पानी नहीं दिया जा सकेगा।