हाल ही में अमेरिका ने अपनी खुफिया रिपोर्ट में एक बार फिर चीन की चाल को उजागर किया है। इस रिपोर्ट ड्रैगन की विस्तारवादी नीति और भारत के लिए उसकी सामरिक चुनौतियों पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत, पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानता है। जबकि पाकिस्तान को एक सीमित सुरक्षा समस्या के रूप में देखता है जिसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी की रक्षा नीति उनके वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने, चीन का सामना करने और भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित रहेगी।

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रिपोर्ट के अनुसार, मई 2024 के मध्य में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीमा पार गोलीबारी और हमलों के बावजूद भारत की रणनीतिक सोच में चीन को प्राथमिक खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत, चीन के प्रभाव को संतुलित करने और वैश्विक नेतृत्व भूमिका को मजबूत करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा साझेदारियों को प्राथमिकता दे रहा है, जिसके अंतर्गत सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, हथियार बिक्री और सूचनाओं का आदान-प्रदान शामिल है। भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहभागिता भी बढ़ाई है और ‘क्वाड’, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और ASEAN जैसे बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

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PLA के सैन्य अड्डों की योजना, भारत के लिए बन सकती है मुसीबत

रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैन्य ठिकाने बर्मा (म्यांमार), पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे भारत को पडोसी देशों में स्थापित करने की योजना पर विचार कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो यह भारत के लिए गंभीर सामरिक खतरा बन सकता है क्योंकि इन देशों की सीमा भारत से लगती हैं।

इसे चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत चीन हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहता है।

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अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने में जुटा पाकिस्तान

बता दें कि, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवाद से जुड़े ढांचागत ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इसके बाद 7 से 10 मई के बीच दोनों देशों के बीच कई दौर की मिसाइल, ड्रोन, और ‘लोइटरिंग म्यूनिशन’ (आत्मघाती ड्रोन) से हमले हुए और भारी गोलीबारी भी हुई। 10 मई तक दोनों पक्षों के बीच पूर्ण युद्धविराम पर सहमति बन गई।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के इस हमले के बाद से पाकिस्तान के मन में डर बैठ गया है। इसलिए वह तेजी से अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक बना रहा है और भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। भारत के साथ सीमावर्ती तनाव, आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियां और कश्मीर को लेकर आक्रामक बयानबाजी इसी पॉलिसी का हिस्सा हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान मुख्य रूप से चीन की आर्थिक और सैन्य उदारता पर निर्भर है। चीन से मिले संसाधनों और तकनीकी सहायता के बल पर पाकिस्तान ना सिर्फ अपने सैन्य ढांचे को मजबूत कर रहा है, बल्कि परमाणु क्षमताओं को भी विस्तार दे रहा है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन-पाकिस्तान गठजोड़, भारत के लिए सामरिक रूप से दोहरा खतरा पैदा कर रहा है। एक तरफ LAC पर चीन का दबाव और दूसरी तरफ पाकिस्तान की परमाणु और सीमा पार पॉलिसी टेंशन बढ़ा रही है।

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चीन से तनाव कम, लेकिन सीमा विवाद बरकरार

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अक्टूबर 2024 के अंत में भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के दो विवादित इलाकों से सेनाएं पीछे हटाने पर सहमति बनाई। सीमा विवाद अब भी अनसुलझा है, 2020 में इसी इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प में जानें गई थीं।

रूस पर भारत की निर्भरता घटी

रिपोर्ट में दावा किया गया कि, भारत 2025 तक रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखेगा, क्योंकि वो इन्हें अपने आर्थिक और रक्षा हितों के लिए जरूरी मानता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही मोदी सरकार ने रूस से सैन्य उपकरणों की नई खरीदारी में कटौती की हो, लेकिन रूस निर्मित टैंकों और लड़ाकू विमानों के बड़े भंडार के रख-रखाव के लिए अब भी भारत को रूसी स्पेयर पार्ट्स पर निर्भर रहना पड़ता है। यह सहयोग चीन-रूस के नजदीकी संबंधों के संतुलन के रूप में भी देखा जा रहा है।

‘मेड इन इंडिया’ पर जोर

भारत इस वर्ष भी ‘मेड इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देगा, ताकि घरेलू रक्षा उद्योग को सशक्त किया जा सके और सप्लाई चेन की चिंताओं को कम किया जा सके। भारत ने 2024 में अपनी सैन्य क्षमताओं के आधुनिकीकरण को जारी रखा। भारत ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-I प्राइम मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) और अग्नि-V मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) का परीक्षण किया। इसके साथ ही भारत ने अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी को भी नौसेना में शामिल किया, जिससे उसकी परमाणु त्रयी (nuclear triad) को मजबूती मिली।

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