दिल्ली की एक अदालत ने ‘हराम’ शब्द के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह किसी मेहनती महिला का अपमान करने के लिए पर्याप्त है. अदालत ने यह भी बताया कि ‘हराम’ का तात्पर्य उस चीज से है जो गलत तरीके से प्राप्त की गई हो. तीस हजारी कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट करणबीर सिंह ने स्पष्ट किया कि “हराम” शब्द केवल किसी व्यक्ति का अपमान करने के लिए नहीं है. इसका अर्थ है ऐसी चीजें जो निषिद्ध हैं और जिन्हें गलत तरीके से प्राप्त किया गया है. यह शब्द किसी भी मेहनती महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए पर्याप्त है.

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कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 509 के तहत एक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए टिप्पणी की कि उसने एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाई. उस पर आरोप था कि उसने महिला के बारे में अपमानजनक शब्द कहे थे. बचाव पक्ष ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि अभियोजन पक्ष ने किसी चश्मदीद गवाह की गवाही नहीं ली और केवल शिकायतकर्ता के बयान पर निर्भर किया.

जज ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि उपरोक्त तर्क सही नहीं हैं. शिकायतकर्ता की गवाही स्पष्ट, ठोस, विश्वसनीय और भरोसेमंद थी, और उसने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए गए अपने बयान से मुकरने का कोई प्रयास नहीं किया. अदालत ने यह भी कहा कि “हराम” शब्द एक महिला की गरिमा का अपमान करता है, क्योंकि यह उसके प्रति अविश्वास को दर्शाता है.

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यह शब्द ‘कितनों से… आई है’ केवल एक साधारण अपमान नहीं है, बल्कि यह महिला की पहचान पर सीधा हमला करता है. यह शब्द यह संकेत करता है कि महिला की स्वतंत्रता को संदिग्ध माना जाता है, जिससे उसके चरित्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस प्रकार के शब्दों से किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना स्वाभाविक है. इन शब्दों का अर्थ यह भी निकलता है कि वह कई पुरुषों के साथ यौन संबंध बना रही है. इसलिए, कोर्ट का मानना है कि आरोपी के कहे गए शब्दों का मुख्य उद्देश्य शिकायतकर्ता की गरिमा का अपमान करना था.