कोरोना वायरस(Corona Virus) की महीनों की चुप्पी के बाद, अब यह भारत के विभिन्न शहरों में फिर से फैलने लगा है. दिल्ली(Delhi), महाराष्ट्(Maharshtra), केरल(Kerla), कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कोविड-19 के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है, जिसके चलते अस्पतालों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है. भारत में 2 नए कोविड-19 वेरिएंट, NB.1.8.1 और LF.7, की पहचान हुई है, और देश के कम से कम 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए मरीज सामने आए हैं. अस्पतालों को ICU बेड, ऑक्सीजन सप्लाई और अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ पूरी तैयारी रखने के लिए कहा गया है. महाराष्ट्र में, नए मामलों की अधिकता मुंबई, पुणे और ठाणे जैसे शहरों में देखी जा रही है.

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इस महीने केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कोरोना के नए मामले सामने आए हैं, जिसमें कर्नाटक का बेंगलुरु प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है. राष्ट्रीय राजधानी में तीन साल में पहली बार कोरोना वायरस के 23 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश हल्के हैं और मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा है. हालांकि, ठाणे और बेंगलुरु में दो कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु हुई है. कर्नाटक के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, बेंगलुरु में 84 वर्षीय संक्रमित व्यक्ति की मौत पहले से मौजूद गंभीर बीमारियों के कारण हुई, जबकि ठाणे नगर निगम ने बताया कि 21 वर्षीय कोविड-19 मरीज की मृत्यु छत्रपति शिवाजी महाराज कालवा अस्पताल में हुई.

दिल्ली में केस

दिल्ली में कोविड-19 के 23 नए मामले सामने आए हैं, जो पिछले लगभग तीन वर्षों में कोरोना के मामलों में पहली बार महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाते हैं. सभी संक्रमित व्यक्तियों की स्थिति हल्की है और उनमें फ्लू जैसे लक्षण पाए गए हैं, जिससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. दिल्ली में कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है. वर्तमान में राजधानी में 104 सक्रिय मामले हैं, जबकि 19 मई तक यह संख्या केवल 24 थी. एक ही सप्ताह में 99 नए मामले सामने आए हैं, हालांकि इस दौरान 19 मरीज ठीक भी हुए हैं. हाल के दिनों में देशभर में कोरोना के मामलों में जो वृद्धि हुई है, वह चिंताजनक है.

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ठाणे में भी एक मौत

महाराष्ट्र के ठाणे में गंभीर डायबिटीज से ग्रसित एक कोविड-19 मरीज की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मृत्यु हो गई. शनिवार को शहर में कोविड-19 के 8 नए मामले दर्ज किए गए. मुंबई में मई महीने में अब तक कुल 95 कोविड-19 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 16 मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया गया है.

उत्तराखंड में मिले 2 केस

उत्तराखंड के ऋषिकेश में कोरोना वायरस के दो नए मामले सामने आए हैं. इनमें एक 57 वर्षीय यात्री है जो गुजरात से आया है और एक महिला चिकित्सक है जो एम्स ऋषिकेश में कार्यरत है. गुजराती यात्री, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त है, अपने घर लौट चुका है, जबकि महिला चिकित्सक की देखभाल घर पर की जा रही है. हरियाणा में वर्तमान में कोविड-19 के चार मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से दो गुरुग्राम और दो फरीदाबाद से हैं. इसके अलावा, मई महीने में केरल में कोविड-19 के 273 मामले रिपोर्ट किए गए हैं.

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केरल में कोविड संक्रमण के सर्वाधिक मामले

मई में केरल में कोविड संक्रमण के 273 मामले दर्ज किए गए हैं, जो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सभी जिलों में निगरानी बढ़ाने के निर्देश के साथ आया है. अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है, और खांसी के लक्षण वाले व्यक्तियों को भी मास्क पहनने की सलाह दी गई है. पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी कोविड के मामलों में हल्की वृद्धि देखी गई है, जहां 35 नए संक्रमण सामने आए हैं, जिनमें होसकोटे का एक नौ महीने का बच्चा भी शामिल है. सांस की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे लोगों को तुरंत कोविड टेस्ट कराने की सलाह दी गई है. मुंबई में मई में अब तक 95 कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं, जो महाराष्ट्र में कुल मामलों का एक बड़ा हिस्सा है, हालांकि अस्पताल में भर्ती होने की दर कम रही है, केवल 16 मरीजों को भर्ती किया गया है.

बीएमसी ने सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (SARI) के लक्षण दिखाने वाले सभी मरीजों को कोविड परीक्षण कराने की सलाह दी है. ठाणे, महाराष्ट्र में पिछले तीन दिनों में कोविड के 10 नए मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक दवाओं का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है. आंध्र प्रदेश में कोरोना के मामलों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई है, फिर भी राज्य ने अस्पतालों को वैक्सीन, पीपीई किट और ट्रिपल-लेयर मास्क की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. कोविड प्रभावित देशों, विशेषकर एशियाई देशों से लौटने वाले यात्रियों को भी कोरोना परीक्षण कराने की सलाह दी गई है. तमिलनाडु में मई महीने में अब तक कोरोना संक्रमण के 66 नए मामले दर्ज किए गए हैं.

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अचानक क्यों बढ़ने लगे कोरोना के मामले?

दक्षिण एशिया में कोविड-19 मामलों में वृद्धि संभवतः JN.1 वैरिएंट, जो ओमिक्रॉन का एक उपप्रकार है, के फैलाव के कारण हो रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह वैरिएंट काफी सक्रिय है, हालांकि इसे अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है. इस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों में आमतौर पर हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, और वे चार दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं. सामान्य लक्षणों में बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द और थकान शामिल हैं. तमिलनाडु में अप्रैल 2025 में NB.1.8.1 वैरिएंट की पहचान हुई, जबकि गुजरात में मई में LF.7 के चार मामलों की पुष्टि की गई. इन दोनों वैरिएंट्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा ‘निगरानी में रखे गए वैरिएंट’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है. भारत में कोरोना वायरस का प्रमुख स्ट्रेन JN.1 है, जो सभी जांचे गए सैंपल्स के 53% में पाया गया है, इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20%) आते हैं. हालांकि NB.1.8.1 और LF.7 जैसे वैरिएंट्स सामने आए हैं, लेकिन इनसे संक्रमित मरीजों में गंभीर बीमारी के कोई संकेत नहीं मिले हैं; लक्षण सामान्य सर्दी या हल्के फ्लू के समान ही रहते हैं.

बढ़ते कोविड मामले कितनी परेशानी की बात?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना संक्रमण में अचानक आई वृद्धि के संदर्भ में सावधानी बरतने की सलाह दी है, लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है. उनका मानना है कि भारत मजबूत हाइब्रिड इम्युनिटी के साथ स्थिर स्थिति में है, जो पिछले संक्रमणों और टीकाकरण के परिणामस्वरूप प्राप्त हुई है. उन्होंने सरकार को नए कोविड वैरिएंट पर ध्यान देने की सलाह भी दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोविड-19 संक्रमण की मामूली वृद्धि वास्तविक स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शा सकती, क्योंकि कई लोग जिनमें श्वसन संबंधी लक्षण हैं, कोविड-19 परीक्षण नहीं कराते. इसके बावजूद, वायरस के अधिक गंभीर बीमारी उत्पन्न करने के लिए म्यूटेशन होने का कोई संकेत नहीं है. माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स का कहना है कि जब तक वायरस में महत्वपूर्ण विकासात्मक परिवर्तन नहीं होते, तब तक संक्रमण के पैटर्न या गंभीरता में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है.

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लोगों में बन गई है सेल्फ इम्युनिटी: डॉ. गुलेरिया

डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, जो दिल्ली एम्स के पूर्व डायरेक्टर हैं, ने आज तक से बातचीत में बताया कि नया वैरिएंट JN.1 2023 में सामने आया था और अब यह कोरोना का सबसे प्रमुख वैरिएंट बन चुका है. इस वैरिएंट में कुछ म्यूटेशन हुए हैं, जिससे यह अधिक संक्रामक हो गया है और यह लोगों की इम्युनिटी को बायपास कर रहा है. हालांकि, इससे संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण हल्के होते हैं, जैसे खांसी, नजला, बुखार और गले में खराश. विशेष रूप से, जिन लोगों को पहले से कोई अन्य बीमारी है, जैसे डायबिटीज या हृदय संबंधी समस्याएं, उनके लिए गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है. इसलिए ऐसे व्यक्तियों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. हालिया रिपोर्टों के अनुसार, वैक्सीन से अभी भी कुछ हद तक सुरक्षा मिल रही है. इसके अलावा, पूर्व में कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश लोगों में इस वायरस के खिलाफ स्वाभाविक इम्युनिटी विकसित हो चुकी है. चूंकि वायरस अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए लगातार म्यूटेशन करता है और अपना स्वरूप बदलता है, इसलिए समय-समय पर कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जाती है. हालांकि, इस स्थिति को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह धीरे-धीरे फिर से कम होने लगेगा.

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुरनजीत चटर्जी ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में बताया कि वर्तमान स्थिति नियंत्रण में है. अधिकांश मामले छिटपुट और दुर्लभ हैं, और मौजूदा मामलों का प्रबंधन आसानी से किया जा रहा है. नए कोविड मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है, और यह स्थिति सीजनल फ्लू की तरह है, जिसका उपचार सरलता से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के नए मामलों में किसी भी मरीज को अस्पताल या आईसीयू में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ी है, इसलिए घबराने की कोई वजह नहीं है.

सरकार का कोरोना को लेकर क्या है कहना?

भारत में कोरोना के मामलों में वृद्धि को देखते हुए केंद्र सरकार ने आवश्यक कदम उठाए हैं. हाल ही में, डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC), इमरजेंसी मेडिकल रिलीफ (IMR) डिवीजन, डिजास्टर मैनेजमेंट सेल, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और केंद्रीय सरकारी अस्पतालों के प्रमुख शामिल हुए. सूत्रों के अनुसार, कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के बाद केंद्र ने सतर्कता बढ़ा दी है, हालांकि अधिकांश नए मामले हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है. इन मामलों में गंभीरता या उच्च मृत्यु दर का कोई असामान्य जोखिम नहीं है, और वर्तमान में मामलों की संख्या देश की विशाल जनसंख्या के संदर्भ में अपेक्षाकृत कम है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि कोविड-19 और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) और आईसीएमआर के माध्यम से एक प्रभावी प्रणाली स्थापित की गई है. सरकार स्थिति पर लगातार नजर रख रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं. सभी नए कोरोनो वायरस मामलों के लिए जीनोम सीक्वेसिंग को अनिवार्य किया गया है. कोरोना के मामलों की दैनिक अपडेटिंग नेशनल पोर्टल पर की जा रही है, जिसमें ILI/SARI से संबंधित मामलों की रिपोर्ट भी शामिल है. अस्पतालों में परीक्षण की संख्या बढ़ा दी गई है, और उन्हें ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए निरंतर वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज के कैंपेन चलाए जा रहे हैं. लोगों को मास्क पहनने, स्वच्छता बनाए रखने और खांसी, बुखार, सांस लेने में कठिनाई, थकान, या गले में परेशानी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराने की सलाह दी गई है.