बाड़मेर. राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर में कांग्रेस ने भारतीय सेना के सम्मान में ‘जयहिंद सभा’ का आयोजन किया, जिसमें वीर जवानों, वीरांगनाओं और युद्ध में वीरता दिखाने वाले सैनिकों को सम्मानित किया गया. बालाजी फार्म हाउस स्थित वीरेंद्र धाम मेमोरियल छात्रावास परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सांसद रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए.

सेना को किया सलाम, सरकार से पूछे तीखे सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय सेना के शौर्य की सराहना की. उन्होंने कहा कि जब-जब देश पर संकट आया, हमारी सेना ने साहस और समर्पण के साथ मोर्चा संभाला. पुलवामा से लेकर उरी तक, हर बार सेना ने देश का मान बढ़ाया.
हालांकि उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि 22 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति के एक ट्वीट के बाद युद्धविराम की घोषणा करना हैरान करने वाला कदम था. गहलोत ने पूछा कि आखिर किन शर्तों पर सीजफायर किया गया? क्या आतंकियों को पाकिस्तान को सौंपा गया? क्या कोई ठोस वादा लिया गया?
“कश्मीर पर ट्रंप की पंचायती क्यों?”
गहलोत ने अमेरिका की भूमिका पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब अमेरिका ने न गोवा, न सिक्किम, किसी भी संघर्ष में भारत का साथ नहीं दिया, तो ट्रंप जैसे नेता कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कैसे कर सकते हैं? उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “ट्रंप पंचायती करने वाले कौन हैं?”
RSS और भाजपा पर भी जमकर बरसे गहलोत
गहलोत ने अपने भाषण में आरएसएस और भाजपा पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि संघ ने दशकों तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया और आज जब तिरंगा यात्रा निकालते हैं तो उसका सही सम्मान भी नहीं करते. उन्होंने आरोप लगाया कि जयपुर में भाजपा नेताओं द्वारा तिरंगे का अपमान किया गया—किसी ने उससे मुंह पोंछा, तो किसी ने उसे पैरों तले रौंदा.
“1971 की तरह पाकिस्तान को सख्त सबक देना चाहिए था”
गहलोत ने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने 1971 में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ. उन्होंने कहा कि जब आज पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी थी, तो यह पाकिस्तान को सख्त सबक सिखाने का सही वक्त था, लेकिन सरकार नौ आतंकी ठिकानों पर सीमित कार्रवाई कर संतोष कर बैठ गई.
सीमा क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द की सराहना
गहलोत ने राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां दोनों समुदायों के लोग वर्षों से साथ रहते आए हैं. उन्होंने कहा कि अमीन खान जैसे नेता इस सौहार्द की मिसाल हैं, और इस क्षेत्र की जनता हमेशा सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही है.
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