कोटा। जम्मू-कश्मीर की रहने वाली यह छात्रा मात्र एक माह पहले ही कोटा आई थी. परिजनों से वीडियो कॉल पर बात के दौरान अचानक उसने यह दर्दनाक कदम उठाया. आत्महत्यु के पीछे के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं. जम्मू-कश्मीर की रहने वाली यह छात्रा मात्र एक माह पहले ही कोटा आई थी. परिजनों से वीडियो कॉल पर बात के दौरान अचानक उसने यह दर्दनाक कदम उठाया. आत्महत्यु के पीछे के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं.

हॉस्टल में नहीं था एंटी-हैंगिंग डिवाइस
जिस कमरे में छात्रा ने आत्महत्या की, वहां प्रशासन द्वारा अनिवार्य किए गए एंटी-हैंगिंग डिवाइस नहीं लगे थे. राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद कई कोचिंग सेंटर और हॉस्टल में यह सुरक्षा इंतजाम लागू नहीं हो सके हैं.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की चिंता
आत्महत्या के इन मामलों को देखते हुए उच्च न्यायालय ने अपने रुख में कड़ा रुख अपनाया है और प्रदेश सरकार से समयबद्ध पॉलिसी बनाने को कह चुका है. इसके अलावा, तीन दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने भी कोटा में बढ़ती छात्र-आत्महत्याओं पर गंभीर चिंता जताई थी.
7 साल में 100 से ज्यादा छात्रों की गई जान
पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले सात वर्षों में कोटा में कम से कम 100 कोचिंग छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की. इसमें केवल वे मामले शामिल हैं जिनकी पुलिस में रिपोर्टिंग हुई; वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने का अनुमान है. आंकड़ों में दो-तिहाई छात्र एक ही संस्थान में पढ़ाई के दौरान आत्महत्या कर चुके हैं.
प्रशासन की अधूरी पहलें
कोटा पुलिस ने सुसाइड रोकने के लिए हर कोचिंग एरिया में अस्थायी चौकी, हेल्पडेस्क और हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, साथ ही सभी हॉस्टल में एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य किया गया है. बावजूद इसके, तनावग्रस्त छात्र आज भी इस खतरनाक दायरे से खुद को बचा नहीं पा रहे.
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