रांची में रिम्स-2 के निर्माण पर सियासत अपने उफान पर है। राज्य सरकार ने पहले कांके के सुकुरहुटू में 102 एकड़ जमीन चिह्नित की थी, लेकिन विवाद के बाद अब कांके के नगड़ी में नई जमीन चिह्नित की गई है। हालांकि, इस नई जमीन पर भी विवाद बढ़ रहा है। ग्रामीणों के विरोध के बीच इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है। बीजेपी इसके निर्माण का विरोध कर रही है। तो दूसरी तरफ झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी पर रिम्स-2 पर झूठी राजनीति करने का आरोप लगा दिया है।

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उन्होंने कहा कि रिम्स-2 परियोजना को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा लगाये गये आरोप “झूठ की राजनीति का झंडाबरदार” है। बाबूलाल मरांडी आज आदिवासी हितैषी बनने की नौटंकी कर रहे हैं, जबकि असलियत यह है कि उनसे बड़ा आदिवासी विरोधी कोई नहीं।

रघुवर सरकार के समय क्यों मौन थे बाबूलाल – इरफान अंसारी

मंत्री इरफान आगे कहते हैं कि “जब रघुवर दास की सरकार ने आदिवासियों की जमीन पर विधानसभा भवन और स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर उजाड़ने का काम किया, तब बाबूलाल मरांडी मौन क्यों थे? तब उनकी संवेदनशीलता कहां सोई थी? उस समय न तो उनके दिल में आदिवासियों की पीड़ा थी, न ही उन्हें संविधान की याद आई.”

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किसी की निजी जमीन पर नहीं बन रहा रिम्स 2 – स्वास्थ्य मंत्री

उन्होंने कहा कि रिम्स-2 किसी भी आदिवासी या किसान की निजी खेती की जमीन पर नहीं बन रहा है। बल्कि यह पूरी तरह से राज्य सरकार की स्वामित्व वाली जमीन पर प्रस्तावित है। “झूठ फैलाना और लोगों को गुमराह करना भाजपा का पुराना हथकंडा है। बाबूलाल मरांडी जानबूझकर आदिवासी समाज को भड़का करके सस्ती राजनीति करना चाहते हैं।”

झारखंड की जनता जान चुकी है कि बाबूलाल मरांडी न तो स्थिर विचार के नेता हैं और न ही जनता के हितैषी। जब भाजपा में नहीं थे, तब खुद को सेक्युलर कहते थे। आज भाजपा में हैं तो आदिवासी कार्ड खेलकर सिर्फ सियासी जमीन तलाश रहे हैं। जब रघुवर दास की सरकार में जामताड़ा में आदिवासी भूमि पर जबरन भाजपा कार्यालय का निर्माण किया गया, तब उन्होंने आदिवासी हितों पर चुप्पी साध ली थी। क्या वह आदिवासी जमीन नहीं थी? क्या उस समय संविधान नहीं था? उस समय उनकी आदिवासी संवेदना क्यों नहीं जागी?”

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झारखंड की जनता का सपना है रिम्स 2

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “रिम्स-2 परियोजना झारखंड की जनता का सपना है। एक ऐसा सपना, जो बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, अत्याधुनिक उपचार सुविधाओं और कमजोर वर्गों तक सुलभ इलाज की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। रिम्स में इलाज के लिए राज्यभर से भारी संख्या में मरीज आते हैं। अस्पताल पर अत्यधिक दबाव है। रिम्स-2 के निर्माण से स्वास्थ्य सेवाओं का बोझ बंटेगा और मरीजों को तत्काल व गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सकेगा। यह फैसला पूरी तरह जनहित में है।

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नेता प्रतिपक्ष ने जायजा लेने के बाद जताई थी आपत्ति

बता दें कि, 31 मई 2025 को नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने नगड़ी के विवादित स्थल का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया था। उन्होंने राज्य सरकार से इस जमीन पर रिम्स-2 का निर्माण न करने का अनुरोध किया। रैयतों से मुलाकात के बाद मरांडी ने कहा कि यह जमीन कृषि योग्य है और यहां वर्षों से खेती हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इसके आसपास 5-10 किलोमीटर के दायरे में बंजर जमीन पर निर्माण कराना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘राज्य में खाद्यान्न की कमी है। ऐसी उपजाऊ जमीन का इस तरह उपयोग करना उचित नहीं है। अगर सरकार को बंजर जमीन नहीं मिलती, तो हमें बताए, हम मदद करेंगे।’

बाबूलाल मरांडी ने दी आंदोलन की चेतावनी

बाबूलाल मरांडी ने चेतावनी दी कि यदि इस जमीन पर निर्माण कार्य नहीं रोका गया, तो बड़ा आंदोलन होगा, जिसमें राज्य भर के आदिवासी शामिल होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस बहाने आदिवासियों को उनके खेतों से बेदखल कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि स्थानीय लोगों को खेती करने की अनुमति दी जाए, अन्यथा व्यापक आंदोलन किया जाएगा।

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