हरिद्वार. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर निगम हरिद्वार में हुए जमीन घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए 2 आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित 7 अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में अब तक 10 अफसरों पर कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन इस कार्रवाई से कांग्रेस संतुष्ट नहीं है.
पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस घोटाले को ज्वलंत महापाप बताया है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा- हरिद्वार भूमि घोटाला, इस सरकार का ज्वलंत महापाप है. जन दबाव में आपने जिलाधिकारी आदि को सस्पेंड किया, अच्छी बात है. मगर मैंने अपने पहले ही ट्वीट में लगभग 15 दिन पहले यह स्पष्ट कर दिया था कि इतना बड़ा भूमि घोटाला और जिले के केंद्र बिंदु पर जिला मुख्यालय में बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं हो सकता है. इस घोटाले का राजनीतिक संरक्षक कौन, यह यक्ष प्रश्न है? जिसके समाधान के बिना इस घोटाले को भुलाया नहीं जा सकता है.
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस मामले में अन्य अधिकारी और सफेद कॉलर नेताओं की संलिप्तता की आशंका जताते हुए उन पर भी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई सरकार ने कांग्रेस के दबाव में की. साथ ही करन माहरा ने इस कार्रवाई को सिर्फ दिखावा बताया है. उन्होंने कहा कि सस्पेंड किए गए अधिकारी को कार्मिक ओर सतर्कता विभाग में अटैच करना कई सवाल खड़ा करता है.
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ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि 2024 में निकाय चुनाव के दौरान हरिद्वार नगर निगम का पूरा सिस्टम नगर आयुक्त के पास था. इस दौरान नगर आयुक्त की जिम्मेदारी आईएएस वरुण चौधरी के पास थी. नगर निकाय चुनाव के कारण हरिद्वार जिले में आचार संहिता लगी हुई थी. तभी हरिद्वार नगर निगम ने 33 बीघा जमीन खरीदी थी. ये जमीन किस उद्देश्य से खरीदी गई थी, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.
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