रायपुर। सीमेंट की लगातार बढ़ रही कीमत पर आखिरकार लगाम लग ही गई. सरकार की घुड़की के बाद कंपनियों ने बढ़ाए गए दामों को वापस ले लिया है. गुरुवार शाम से सीमेंट की कीमतों के दाम वापस पुराने दर आ गए है. सीमेंट के दाम कम होने से आम जनता को भारी राहत मिलने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि फरवरी के आखिरी सप्ताह के बाद से राज्य में लगातार सीमेंट की दरों में कंपनियों ने बढ़ोतरी शुरू कर दी थी. हालांकि सरकार ने तब भी सीमेंट कंपनियों को घुड़की दी थी, तब जाकर दरों में कमी लाई गई थी, लेकिन एक बार फिर सीमेंट की बढती कीमतों के बीच सरकार को दखल देना पड़ा है. सरकार ने सीमेंट कंपनियों के साथ चर्चा की और सख्त लहजे में दाम घटाने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने सीमेंट कंपनियों को दो टूक लहजे में चेतावनी दी, जिसके बाद कंपनियों के पसीने छूट गए और उन्होंने दाम वापस घटा दिये. गुरुवार शाम से सीमेंट करीब 247 रुपये प्रति बैग की दर से बिकना शुरु हो गई है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद राज्य शासन के आला अधिकारियों ने सीमेंट कंपनियों से चर्चा करने के बाद दरों में कटौती लाने का रास्ता तय किया. मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में कहा है कि-
सीमेंट की दरों को लेकर सरकार अपने स्तर पर लगातार मानिटरिंग करती रहती है. हम आगे भी यह देखेंगे कि सीमेंट की दरों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ना हो.
बता दें कि छत्तीसगढ़ में करीब 230 रूपए प्रति बैग के बीच बिकने वाले सीमेंट की कीमत को बढ़ाकर 260 रुपये से 262 रुपये कर दिया गया था. जानकारों की माने तो 22 फरवरी तक सीमेंट का एक बैग 215 रूपए की दर पर मिल रहा था, लेकिन सीमेंट की खपत बढ़ने के साथ ही कंपनियों ने धीरे-धीरे दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी. 20 मार्च तक कंपनियों ने सीमेंट की दरों में दस-दस रूपए कर तीन बार बढ़ोतरी की. 25 मार्च तक बाजार में सीमेंट की कीमत 240 से 250 रूपए तक हो गई थी. मार्च में ही करीब 30 रूपए तक बढ़ोतरी हुई थी. इसके बाद राज्य शासन की ओर से सीमेंट कंपनियों को चिट्ठी जारी कर दरों में वृद्धि को लेकर नाराजगी जताई थी, जिसके बाद कंपनियों ने सीमेंट की दर घटाकर करीब 230 से 240 रूपए प्रति बैग कर दिया था. नए वित्तीय वर्ष में सीमेंट कंपनियों ने दोबारा दरों में बढ़ोतरी का खेल खेला. गर्मी के मौसम की शुरूआत के साथ ही जैसे-जैसे सीमेंट की डिमांड बढ़ती गई, दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी गई. पहले 10, फिर 15 और बाद में 30 रूपए तक की बढ़ोतरी कर दी गई. सीमेंट की दरों में बढ़ोतरी को लेकर हल्ला मचना शुरू हो तो सरकार को दखल देने की नौबत आ गई.
छत्तीसगढ़ में सबसे कम दर पर उपलब्ध है
बता दें कि मौजूदा वक्त में देश भर में सबसे कम दर पर सीमेंट छत्तीसगढ़ में ही उपलब्ध है. सीमावर्ती राज्यों उड़ीसा में 330 रुपये, मुंबई में 360 रुपये, हैदराबाद में 340, नागपुर में 350 रुपये की दर पर बिक रही है. वहीं वर्तमान में सरकार की सख्ती के बाद छत्तीसगढ़ में सीमेंट 247 रुपये की दर पर बिकने लगी है. राजधानी रायपुर में सीमेंट के डिलर बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में सीमेंट के दाम यहां की तुलना में काफी ज्यादा है. यहां उन राज्यों के बनिस्बत 100 रुपये कम पर सीमेंट बिक रही है. दूसरे राज्यों में सीमेंट के दाम ज्यादा होने की वजह से कंपनियों को उन राज्यों में ज्यादा मुनाफा होता है. दूसरे राज्यों में मुनाफा ज्यादा होने की वजह सीमेंट कंपनियां उन राज्यों में ज्यादा माल सप्लाई कर रही हैं. जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ में सीमेंट के शार्टेज की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उनका कहना है कि प्रदेश में सीमेंट के दाम कम होने की वजह से सूबे की सरकार को राजस्व घाटा भी हो रहा है. सरकार को कम टैक्स मिल रहा है.
मुनाफे के आधार पर कीमत तय करती है कंपनी
जानकार बताते हैं कि गर्मी के मौसम की शुरूआत के साथ ही जैसे ही निर्माण कार्यों में तेजी आती है, तो कंपनियां सीमेंट की डिमांड के मुताबिक जानबूझकर कृत्रिम संकट पैदा करती है. इस बीच धीरे-धीरे सीमेंट की दरों में बढ़ोतरी की जाती है. सीमेंट कंपनियों के डीलरों की माने तो डिमांड के मुताबिक कंपनियां बेहद कम सप्लाई कर रही है. सीमेंट की बिक्री को लेकर एक थ्योरी ये बताई जाती है कि यह पहले कंट्रोल कमोडिटी का हिस्सा था, लेकिन 20-25 साल पहले इसे कंट्रोल कमोडिटी से बाहर कर दिया गया. इसके बाद से ही कंपनियां अपने मुनाफे के आधार पर सीमेंट की कीमतें तय करती हैं, चूंकि पर्यावरण, खनिज जैसे मामलों पर कंपनियां सरकार की नीतियों से जुड़ी हुई है, लिहाजा ऐसे मामलों पर सरकार प्रत्यक्ष तौर पर दखल देकर कंपनी पर दबाव बनाती हैं.
कार्टेल बनाकर कीमत तय करती है कंपनियां
जानकार बताते हैं कि सीमेंट कंपनियां कार्टेल बनाकर सीमेंट की दरों को तय करती हैं. छत्तीसगढ़ में साल 2012 में भी सीमेंट की कीमतों को लेकर सवाल खड़े हुए थे. तब 165 रूपए प्रति बैग बिकने वाली सीमेंट की दर 300 रूपए तक जा पहुंची थी. कांग्रेस के प्रवक्ता रमेश वर्ल्यानी कहते हैं कि सीमेंट कंपनियां जिस तरह से कार्टेल बनाकर दरों पर नियंत्रण करने की कोशिश करती हैं, इस पर सरकारी दबाव की जरूरत है. वर्ल्यानी कहते हैं कि राज्य चूना, पत्थर समेत कई दूसरे जरूरी खनिज संसाधनों का इस्तेमाल करने वाली सीमेंट कंपनियां यहां के लोगों को ही ऊंची दरों पर सीमेंट बेचे, यह न्यायोचित नहीं है. बारिश के मौसम में सीमेंट की मांग कम होती है, तो दर कम कर दी जाती है, लेकिन गर्मी में डिमांड ज्यादा है, तो दरों को अप्रत्याशित ढंग से बढ़ा दिया जाता है.