रायपुर- चिप्स के सर्वर में आई खराबी की वजह से पीईटी और पीपीएचटी की परीक्षा रद्द होने के बाद कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. पड़ताल में यह पता चला है कि चिप्स का स्टेट डाटा सेंटर ही सुरक्षित हाथों में नहीं है!  चिप्स के भीतर ही डाटा सेंटर इंचार्ज को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल उसकी नियुक्ति से जुड़ा हुआ है. चिप्स को बेहद करीब से जानने वाले जानकार बताते हैं कि डाटा सेंटर इंचार्ज की नियुक्ति के लिए अनिवार्य शर्तों का भी पालन नहीं किया गया. जिस व्यक्ति को इंचार्ज बनाया गया उसकी क्ववालिफिकेशन भी तय मापदंड के अनुरूप नहीं है. सूत्र बताते हैं कि इस बात की जानकारी मिलने के बाद सरकार के आला अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया है. चर्चा है कि इस नियुक्ति को लेकर जल्द जांच कराई जा सकती है.

स्टेट डाटा सेंटर के इंचार्ज की नियुक्ति सवालों के घेरे में है. सूत्रों की माने तो साल 2016 में डाटा सेंटर इंचार्ज के पद पर दक्षिण भारत के श्रीकांत अप्पूकुट्टम नाम के व्यक्ति की नियुक्ति की गई. इससे पहले तक ज्योतिर्मय प्रधान लंबे समय तक डाटा सेंटर का जिम्मा संभालते आए थे. सूत्रों का दावा है कि श्रीकांत की नियुक्ति के लिए ना तो जरूरी औपचारिकताएं पूरी की गई और ना ही तय मापदंडों का ध्यान रखा गया. चिप्स से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि श्रीकांत की योग्यता बीएससी मैथमेटिक्स हैं, जबकि डाटा सेंटर इंचार्ज के लिए आईटी इंजीनियर होने की शर्त अनिवार्य है. श्रीकांत को करीब ढाई लाख रूपए सैलरी दी जा रही है.
पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि श्रीकांत की नियुक्ति चिप्स में सीईओ रहते हुए आईएएस एलेक्स पाल मेनन ने की थी. चिप्स छत्तीसगढ़ सरकार की ढाई सौ से ज्यादा वेबसाइट संचालन का काम देखती है. सरकार के कामकाज से जुड़े महत्वपूर्ण डाटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी चिप्स पर ही है. लेकिन डाटा सेंटर इंचार्ज का नान टेक्नीकल होना सवाल उठाता है. सूत्र बताते हैं कि डाटा इंचार्ज के रूप में काम करने के बावजूद श्रीकांत की रिपोर्टिंग अथारिटी सीधे चिप्स के सीईओ हैं, जबकि सीईओ के अधीन एडिशनल सीईओ समेत कई और जिम्मेदार अधिकारी काम कर रहे हैं. बताते हैं कि नियुक्ति शर्त में उन्हें यह विशेष रियायत दी गई थी.
श्रीकांत की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर चिप्स के सीईओ के सी देवसेनापति को लल्लूराम डाट काम ने फोन लगाया, तो उनका फोन नंबर बंद मिला. चिप्स के एडिशनल सीईओ आनंद परियल ने यह कहकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया कि नियुक्ति से जुड़े मामलों पर एचआर या सीईओ से बात कीजिए.