Rajasthan News: राजस्थान के सीकर जिले में बीती रात (11 जून) वन विभाग ने वन्यजीवों की गणना के लिए व्यापक अभियान चलाया। वाटर हॉल पद्धति के तहत की जा रही इस गणना के दौरान नीमकाथाना के बालेश्वर 10 हेक्टेयर पॉइंट पर एक पैंथर दिखाई दिया। जिले में कुल 86 वाटर पॉइंट बनाए गए हैं, जिनमें नीमकाथाना में 12 और पाटन में 10 वाटर पॉइंट शामिल हैं। देर रात डीएफओ गुलझारी लाल जाट और एसीएफ वाइल्डलाइफ श्रवण बाजिया ने इन वाटर पॉइंट्स का निरीक्षण किया।

64 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में गणना
डीएफओ गुलझारी लाल जाट ने बताया कि सीकर जिले में 64 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र है। वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि का आकलन करने के लिए हर साल गर्मी के मौसम में वाटर हॉल पद्धति से गणना की जाती है। नीमकाथाना के बालेश्वर 10 हेक्टेयर पॉइंट पर वन कर्मियों ने पैंथर की दहाड़ सुनी और उसे देखा भी गया, जो वन्यजीवों की मौजूदगी का सकारात्मक संकेत है।
संख्या में कमी से पलायन का खतरा
डीएफओ ने बताया कि यदि गणना में वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि होती है, तो यह दर्शाता है कि वन क्षेत्र सुरक्षित है। लेकिन अगर वन क्षेत्र का क्षरण (डिग्रेडेशन) होता है, तो वन्यजीव बाहर की ओर पलायन करने लगते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आ सकती है। इसीलिए जिले के 86 वाटर पॉइंट्स पर सावधानीपूर्वक गणना की जा रही है।
पैंथर का दिखना भी एक अच्छा संकेत
प्रत्येक वाटर पॉइंट पर दो-दो वन कर्मियों को तैनात किया गया है। रेंजर जोगिंदर सिंह ने बताया, “पिछली बार इस क्षेत्र में केवल 2 सांभर देखे गए थे, लेकिन इस बार अब तक 7 सांभर देखे जा चुके हैं। इसके अलावा, पैंथर का दिखना भी एक अच्छा संकेत है।” यह गणना वन्यजीवों की स्थिति का सटीक आकलन करने और उनके संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाने में मदद करेगी।
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