न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर. मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर ओढेरा गांव के लोगों की जिंदगी जहर भरे धुएं और धूल के साये में सिसक रही है. ग्रामीण अब अपने ही गांव में सांस लेने को तरस रहे हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है. गांव के भीतर ‘जय माता दी स्टोन क्रेशर’ का संचालन खुलेआम हो रहा है, जिसकी जद में पूरा रहवासी क्षेत्र आ चुका है.
झांसे में लेकर जमीन के कागजों पर दस्तखत करवाए
गांव में जब से यह क्रेशर लगा है. लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. पीने का पानी तक धूल से भर चुका है और खेतों की जमीन बंजर होती जा रही है. ग्रामीणों का आरोप है कि क्रेशर संचालक मुदित श्रीवास्तव ने 2015 में लोगों को झांसे में लेकर जमीन के कागजों पर दस्तखत करवा लिए थे. यह कहकर कि वह वहां बाउंड्री वाल बनाएगा. लेकिन बाद में उस जमीन पर क्रेशर लगा दिया गया और अब यह गांव की बर्बादी की वजह बन चुका है.

कागजी खानापूर्ति की कार्रवाई
गांव में चल रहे इस गैरकानूनी क्रेशर की शिकायतें कई बार जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक पहुंच चुकी हैं. मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति हुई. ग्रामीणों ने उम्मीद छोड़ दी है, क्योंकि सरकार और सिस्टम दोनों ने उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया है.

गांव में बीमारी का आलम
ग्रामीणों ने बताया कि क्रेशर से निकलने वाली डस्ट से खेतों की उर्वरता खत्म हो गई है. जो जमीनें पहले घर का चूल्हा जलाती थीं, आज वहां धूल के सिवा कुछ नहीं बचा. बच्चों को सांस की तकलीफ, बुजुर्गों को चेस्ट इंफेक्शन और पूरे गांव में बीमारी का आलम है. क्रेशर संचालक मनमर्जी से किसी भी वक्त मशीनें चालू कर देता है. दिन हो या रात. शोर, धूल और कंपन ने उनकी जिंदगी से चैन छीन लिया है. शासन की उदासीनता ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है.
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