धर्म डेस्क। महामृत्युंजय मंत्र का जाप न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. आयुर्वेद में ध्वनि चिकित्सा (Sound Healing) की अवधारणा को ‘नाद ब्रह्म’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है “संसार ध्वनि है”. इस सिद्धांत के अनुसार, हर ध्वनि की अपनी एक विशेष आवृत्ति होती है, जो शरीर के ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) और कोशिकाओं (cells) पर प्रभाव डालती है. महामृत्युंजय मंत्र की ध्वनियाँ शरीर में संतुलन स्थापित करने में सहायक होती हैं.

महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार करता है. यह मंत्र न केवल रोगों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आत्मविश्वास, मानसिक शांति, और समग्र कल्याण में भी वृद्धि करता है.
महामृत्युंजय मंत्र जाप से होने वाले लाभ:

दीर्घायु और अकाल मृत्यु से सुरक्षा: यह मंत्र अकाल मृत्यु के भय को समाप्त करता है और दीर्घायु की प्राप्ति में सहायक होता है.
स्वास्थ्य में सुधार: नियमित जाप से शारीरिक कष्टों में कमी आती है और मानसिक शांति मिलती है.
धन-संपत्ति में वृद्धि: यह मंत्र आर्थिक समृद्धि और संपत्ति में वृद्धि का कारण बनता है.
यश और सम्मान की प्राप्ति: नियमित जाप से समाज में यश और सम्मान मिलता है.
संतान सुख की प्राप्ति: यह मंत्र संतान सुख की प्राप्ति में सहायक होता है.
प्रातः काल में करें जाप: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना शुभ माना जाता है. सर्वोत्तम समय प्रातः काल (ब्रह्म मुहूर्त) में 108 बार जाप करना है. जाप करते समय शरीर और मन की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है. यह मंत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी साधना है.
यदि आप इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करते हैं, तो आप अनुभव करेंगे कि आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं.