राजकुमार पाण्डेय/सौरभ मिश्रा, डेस्क। राजधानी भोपाल के ऐशबाग में बने 90 डिग्री ब्रिज की देशभर में फजीहत हो रही है। 18 करोड़ की लागत से बने इस पुल को ‘नायब नमूने’ तक का दर्जा दिया जा चुका है। इस बीच खुलासा हुआ है कि रेलवे ने इस ब्रिज को बनाने से पहले ही चेतावनी दे दी थी। परियोजना को लेकर रेलवे के इंजीनियर ने पत्र लिखकर कहा था कि इस तरह का स्ट्रक्चर बनाने पर इंजीनियरों की छवि पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन लोक निर्माण विभाग को शायद अपनी काबिलियत पर पूरा भरोसा था। यही वजह है कि उन्होंने रेलवे के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया और निर्माण कार्य जारी रखा। 

लल्लूराम डॉट कॉम के हाथ लगा PWD को लिखा लेटर

लल्लूराम डॉट कॉम (Lalluram.com) के हाथ वह पत्र लगा है जो रेलवे ने लोक निर्माण विभाग को लिखा गया था। जिसमें इस नायाब और अनोखे ब्रिज को बनाने पर आपत्ति जताई गई थी। पश्चिम मध्य रेलवे की ओर से भोपाल PWD के पुल निर्माण प्रभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को 9 अप्रैल 2024 में यह लेटर लिखा गया था।

रेलवे ने इंस्पेक्शन के दौरान जताई थी आपत्ति

पत्र में आपत्ति जताते हुए लिखा गया था, “04 अप्रैल 2024 को स्थल निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ब्रिज का उप-संरचना (रेलवे भाग) पूरा हो चुका है। सुपर स्ट्रक्चर का कार्य प्रगति पर है, जिसके 24 जून तक पूरा होने की संभावना है। इसी प्रकार एप्रोच कार्य (एमपीपीडब्ल्यूडी भाग) भी प्रगति पर है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि बरखेड़ी की ओर ब्रिज का उप-संरचना और एप्रोच का कनेक्शन सही नहीं दिखाई दे रहा है।”  

रेलवे के विकल्प बताने पर भी नहीं मानी गई राय

रेलवे की ओर से PWD को दूसरा विकल्प भी बताया गया था जिससे डिजाइन को संशोधित कर काम आगे जारी किया जा सके। पत्र में लिखा गया था, “ऐसा लग रहा है कि एप्रोच कार्य (एमपीपीडब्ल्यूडी कार्य) और ब्रिज का उप-संरचना (रेलवे भाग) लगभग समकोण पर मिल रहे हैं। जो न तो फंक्शनल रिक्वायरमेंट को पूरा कर रहा है और न ही सड़क में चलने वालों के लिए सुरक्षित है। इससे वाहन चालकों और आम जनता में आलोचना होगी। साथ ही आम जनता में इंजीनियरों की छवि भी खराब होगी। बरखेड़ी एप्रोच में रेलवे स्पैन के साथ संभावित कनेक्शन, जो कि एकमात्र उपलब्ध विकल्प है।” 

रेलवे की समझाइश के बाद भी अपनी पर अड़ा रहा PWD 

रेलवे की लाख समझाइश और आपत्ति जताने के बाद भी लोक निर्माण विभाग ने बात नहीं मानी। PWD ने अपना काम जारी रखा और इसी का नतीजा है कि आज इस ब्रिज की तस्वीर आते ही इसे अजूबा नमूना कहा जा रहा है। 

विश्वास सारंग की देखरेख में बना ये ‘नमूना’

बताया यह भी जा रहा है कि यह अनोखा ब्रिज मंत्री कैलाश विश्वास सारंग की देखरेख में बना है। जिसके बाद कांग्रेस, मंत्री पर हमलावर हो गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत कई बड़े नेता मंत्री सारंग को ‘डिग्री धारी मंत्री’ कह कर तंज कस रहे हैं। साथ ही इस ब्रिज को बनाने में भारी भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट भी होने लगी है। कांग्रेस ने इसे घोटालों के सेतु और भ्रष्टाचार के समीकरण और समकोण का अद्वितीय स्मारक बताया था।

साल 2022 में शुरू हुआ था रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य  

गौरतलब है कि ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (ROB) का निर्माण कार्य 21 मई 2022 को शुरू हुआ था। यह प्रोजेक्ट अपनी समय सीमा से लगभग 1 साल पीछे चल रहा है।  17 करोड़ 37 लाख की लागत वाले ब्रिज का निर्माण अगस्त 2024 में पूरा करना था। लेकिन जून 2025 में भी इसे बनाने की प्रक्रिया जारी है। 90 डिग्री वाले ब्रिज की लंबाई 648 मीटर है और चौड़ाई 8 मीटर है। 

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