कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में भगवान श्री राम के वनवासी स्वरूप वाली 51 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा तैयार हो गई है। इसे छत्तीसगढ़ में बनाये जा रहे श्री राम वन गमन पथ के लिए चन्द्रखुरी स्थित कौशल्या मंदिर में स्थापित किया जाएगा। राष्ट्रपति सम्मानित ग्वालियर के मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने इसे कड़ी मेहनत से तैयार किया है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार श्री राम वन गमन पथ तैयार कर रही है। जहां भगवान श्री राम के वनवासी स्वरूप को मूर्ति में स्थापित किया जाना है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर के प्रसिद्ध मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा को भगवान श्री राम की 51 फीट ऊंची मूर्ति निर्माण करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद ग्वालियर सेंड स्टोन आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर पर मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हुआ जो अब पूरा हो गया है।

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108 मनके रुद्राक्ष

श्री राम वन गमन पथ के लिए चन्द्रखुरी स्थित कौशल्या मंदिर में भगवान श्री राम की वनवासी स्वरुप वाली 51 फीट ऊंची यह प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस प्रतिमा को वहां वर्तमान में स्थापित भगवान श्री राम की प्रतिमा की जगह पर ही स्थापित किया जाएगा। प्रतिमा की एक खासियत यह भी है कि इसमें 108 मनके रुद्राक्ष के भी बनाये गए है।

आपको बता दें कि वर्तमान में वहां स्थापित भगवान श्री राम की प्रतिमा का स्ट्रक्चर पूरी तरह से गलत है। उसके निर्माण कार्य में बहुत सारी खामियां सामने आ चुकी है। प्रतिमा के चेहरे से लेकर शरीर के आकार पर गौर किया जाए तो उसमें भगवान श्री राम के स्वरूप की छवि ही नहीं आती है।

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ग्वालियर के सैंड स्टोन का इस्तेमाल

छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले भी दो मूर्तियों के ऑर्डर ग्वालियर को दिए हैं जो कि श्री राम वन गमन पथ के लिए शिवरीनारायण और सीता रसोई में स्थापित की जा चुकी है। उन मूर्ति के स्वरूप को देखकर ही ग्वालियर को 51 फीट ऊंची प्रतिमा का आर्डर मिला था। प्रतिमा को ग्वालियर के सैंड स्टोन से तैयार किया गया है, जो अपने आप में देश के अंदर मजबूत पत्थर के रूप में ख्याति प्राप्त है और इसकी तराशी गई प्रतिमा बहुत मजबूत और सुंदर होती है।

मूर्तिकार ने कही ये बात

मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया कि यह मूर्ति रायपुर के लिए तैयार की गई है। 51 फीट की मूर्ति की जगह इसे स्थापित किया जाएगा। 108 रुद्राक्ष इस मूर्ति के अंदर बनाए गए है। इसे बनाने में छह से सात महीने लगे है। ग्वालियर के बलुआ पत्थर से इसे बनाया गया है। इसके 9 अलग अलग भाग है, जिसे रायपुर में असेम्बल किया जाएगा।

मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा

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