Rajasthan News: राजस्थान सरकार के ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान ने प्रदेश में जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 5 जून से 20 जून 2025 तक चले इस महाअभियान में 2.53 करोड़ से अधिक नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे राज्य के जल स्रोतों की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पानी की किल्लत से जूझ रहे राजस्थान के लिए यह अभियान वरदान साबित हुआ है।

राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और अनियमित मानसून के कारण सतही जल की कमी हमेशा एक बड़ी समस्या रही है। राज्य परंपरागत जल स्रोतों पर निर्भर रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ‘वंदे गंगा’ अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और संचयन को बढ़ावा देना था। अभियान को जन-केंद्रित बनाया गया, जिसमें जल स्रोतों की पूजा-अर्चना को शामिल कर लोगों में जल संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाई गई।
अभियान की शुरुआत 5 जून को गंगा दशहरा और विश्व पर्यावरण दिवस पर जयपुर के रामगढ़ बांध पर मुख्यमंत्री ने श्रमदान के साथ की। इसके बाद उन्होंने बूंदी के केशोरायपाटन में चंबल नदी को चुनरी ओढ़ाई, भरतपुर की सुजानगंगा नहर पर दीपदान किया, पुष्कर में ब्रह्म घाट पर पूजन, ब्यावर में जवाजा तालाब पर जलाभिषेक, राजसमंद में नौचौकी पाल पर झील आरती और जालोर के सीलू घाट पर मां नर्मदा की पूजा की। अभियान का समापन 20 जून को जैसलमेर की गडीसर झील पर पूजन और गंगा आरती के साथ हुआ।
अभियान के तहत 3.70 लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसमें 1.32 करोड़ महिलाओं सहित 2.53 करोड़ लोगों ने भाग लिया। 42,200 से अधिक जल स्रोतों की सफाई, 73,900 कार्यालयों, अस्पतालों और स्कूलों की साफ-सफाई, 18,900 पूर्ण कार्यों का लोकार्पण और 5,900 नए कार्यों का शुभारंभ हुआ। 1.02 लाख स्थानों पर श्रमदान, 13,600 ग्राम सभाएं, 6,800 प्रभात फेरी, 9,800 कलश यात्राएं और 6,000 चौपालों के जरिए जागरूकता फैलाई गई। CSR और दानदाताओं के सहयोग से 3,200 रिचार्ज शाफ्ट भी बनाए गए।
सरकारी विभाग, गैर-सरकारी संस्थाएं, औद्योगिक समूह और आमजन के सहयोग से नदियों-नालों की सफाई, जल संचयन संरचनाओं का निर्माण और बावड़ियों-तालाबों का पुनरुद्धार हुआ। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन, हरियाली राजस्थान और कर्मभूमि से मातृभूमि अभियानों को भी गति मिली, जिससे भूजल स्तर में बढ़ोतरी की उम्मीद जगी है।
राज्य सरकार ने पिछले डेढ़ साल में ‘रामजल सेतु लिंक परियोजना’ (पार्वती-कालीसिंध-चंबल), यमुना जल समझौता, इंदिरा गांधी नहर परियोजना और देवास परियोजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम शुरू किया है। इनसे 17 जिलों को पेयजल और सिंचाई, शेखावाटी को यमुना जल, गंगानगर से बाड़मेर-जालोर तक पानी और दक्षिणी राजस्थान को लाभ होगा। सरकार का लक्ष्य हर गांव-ढाणी तक पानी पहुंचाना है, जो उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
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