रायपुर. यदि अगले वर्ष भारत में नीलामी के माध्यम से खानों के आबंटन में कोई व्यवधान होता है तो एनएमडीसी अनुरोध प्राप्त होने पर भारत के किसी भी राज्य में किसी भी खदान के अधिग्रहण के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह बात राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एन. बैजेन्द्र कुमार ने लौह अयस्क सप्ताह के अंतर्गत सिंगापुर में सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज (एससीएक्स) द्वारा आयोजित सम्मेलन में कही.
एन. बैजेन्द्र कुमार ने कहा कि आने समय में भारत, विश्व में इस्पात का एक प्रमुख केंद्र रहेगा. भारत में इस्पात उत्पादन तथा उसकी मांग 6-7 प्रतिशत से अधिक की मजबूत दर से बढ़ेगी. उन्होंने भारत में इस्पात के क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ने के साथ चीन, जापान तथा यूरोपियन यूनियन जैसे देशों में उत्पादन और खपत निकट भविष्य में स्थिर रहने की आशंका जताई. उन्होंने कहा कि मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिए जाने से इस्पात नीति 2017 में निर्धारित लक्ष्य पूर्ण हो सकेंगे. राष्ट्रीय इस्पात नीति में वित्त वर्ष 2030-31 तक निर्धारित 300 मिलियन टन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत तथा इस्पात उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हो रही है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस्पात क्षेत्र में 14-15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हो रहा है, जिससे इस्पात निर्माण की क्षमता में बड़ी वृद्धि होगी. एनएमडीसी लौह अयस्क की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है तथा आगामी तीन से चार वर्षों में अपनी क्षमता को लगभग दो गुना करने के लिए खदानों तथा उसकी निकासी क्षमता में वृद्धि के लिए निवेश कर रहा है.
स्थानीय समुदाय का रखें ध्यान
एन. बैजेन्द्र कुमार ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने एक वरिष्ठ ब्यू्रोक्रेट के रूप में कार्य के अनुभव से उन्हें एनएमडीसी के सीएमडी के रूप में कार्य करने में बहुत सहायता मिली है. छत्तीसगढ़ खनन की दृष्टि से एक कठिन क्षेत्र है और वहां कंपनियों की बड़ी खदाने स्थित हैं. उन्होंने कहा कि खनन कंपनी के लिए यह आवश्यक है कि वह स्थानीय समुदाय का ध्यान रखे और एनएमडीसी में कार्यभार संभालने के समय से ही उन्होंने इस पर अपना ध्यान केंद्रित रखा है.