Why Not To Wear Socks During Temple: मंदिर में या घर पर पूजा करते समय अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या पैरों में मोजे पहनकर पूजा करना उचित है? धार्मिक विशेषज्ञों और संतों की मान्यता के अनुसार, पूजा-पाठ या मंदिर की परिक्रमा करते समय मोज़े पहनना उचित नहीं माना जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोज़े और जूते जैसी वस्तुएं पादुका (पैर में पहनने योग्य वस्तु) की श्रेणी में आती हैं. इन्हें पहनकर पवित्र स्थानों पर जाना या पूजा करना मंदिर में चप्पल पहनकर प्रवेश करने जैसा ही माना जाता है. पूजा या परिक्रमा के समय नंगे पांव रहना आवश्यक होता है, क्योंकि इससे शुद्धता और पवित्रता बनी रहती है.
Also Read This: Raipur Rath Yatra Live : राज्यपाल डेका के साथ मुख्यमंत्री साय ने की भगवान जगन्नाथ की पूजा…

क्या कहते हैं संत प्रेमानंद महाराज? (Why Not To Wear Socks During Temple)
संत प्रेमानंद महाराज के अनुसार, मोज़े पहनकर लोग शौचालय या अन्य अशुद्ध स्थानों पर भी जाते हैं, इसलिए मोज़े पहनकर भगवान के सामने जाना अनुचित माना जाता है. मोज़े अक्सर पसीने और धूल से गंदे हो जाते हैं, जिससे वे नकारात्मक ऊर्जा अपने साथ ले आते हैं. इसी कारण मंदिर में प्रवेश करने से पहले न केवल जूते–मोज़े उतारने की, बल्कि पैर धोने की भी सलाह दी जाती है.
नंगे पांव रहने से धरती से जुड़ाव बढ़ता है (Why Not To Wear Socks During Temple)
इसके अलावा, कुछ लोगों का मानना है कि मोज़े पहनकर पूजा करने से भक्ति और आध्यात्मिक अनुभूति में कमी आती है. नंगे पांव रहने से धरती से जुड़ाव महसूस होता है और मन अधिक शांत रहता है. यह भावना, भक्ति और शुद्धता — तीनों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है.
Also Read This: Puri Jagannath Rath Yatra 2025 LIVE: रथ यात्रा आज से… बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ तैयार… बारिश डाल सकती है खलल!
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें