बहुत से लोग सुबह या संध्या को पूजा करते हैं, अगरबत्ती जलाई, घंटी बजाई, मंत्र बोले, लेकिन उसी समय फोन पर बात करते हैं, बच्चों को डांटते हैं या आसपास वालों से गप्पे भी मारते रहते हैं। यही छोटी-सी गलती आपके पूरे पूजा-पाठ का असर खत्म कर सकती है। पूजा के समय बोला गया हर अनावश्यक शब्द आपकी एकाग्रता तो तोड़ता ही है। साथ ही वो ऊर्जा भी बिखेर देता है जो मंत्रों और श्रद्धा से बनती है।

मौन क्यों असरदार है?
मंत्रों की शक्ति कई गुना बढ़ती है जब मन शांत होता है और वाणी संयम में रहती है।
गलत या गुस्से में बोली बात आपकी की गई पूजा का पुण्य कम कर सकती है।
मन की स्थिरता तभी आती है जब हम बोलने की बजाय सुनने और महसूस करने पर ध्यान दें।
शब्द भी ऊर्जा हैं, और पूजा के समय इनका दिशा-भ्रष्ट होना नुकसानदायक हो सकता है।
तो क्या करें?
पूजा से पहले 5 मिनट का मौन रखें। ये मन को तैयार करता है।
पूजा के दौरान सिर्फ उतना ही बोलें जितना मंत्र या आरती में ज़रूरी है।
बीच में फोन, बातचीत, या ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से बचें।
चाहें तो मौनव्रत के रूप में हफ्ते में एक दिन सिर्फ मौन रहकर पूजा करें। इसका प्रभाव आप खुद महसूस करेंगे।
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