शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत केंद्रीय धन में भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपनी ही मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ जांच के आदेश दिए है। मंत्री पर 1000 करोड़ रुपए के कथित कमीशन लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। जिसमें मंत्री और एक कार्यकारी अभियंता पर लगे आरोपों की जांच के निर्देश दिए गए हैं।
आरोप है कि इन्होंने जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को दिए गए 30,000 करोड़ रुपये के धन में हेराफेरी की और मंत्री के लिए धन एकत्र किया। ये जांच प्रधानमंत्री को भेजी गई शिकायत और केंद्र सरकार के निर्देश पर शुरू हुई है। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने यह शिकायत 12 अप्रैल 2025 को की थी।
भ्रष्टाचार के आरोपों पर पीएचई मंत्री संपतिया उइके ने दी सफाई
वहीं इस मामले पर संपतिया उइके का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि मुझे फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। मैं कैबिनेट में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से इस विषय पर चर्चा करूंगी और सारी बातें बताऊंगी। उन्होंने कहा कि मैं बिल्कुल सही हूं, और जिस तरीके से साच को आच नहीं, जिस तरीके से जांच करे मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मंत्री ने कहा कि मैं आदिवासी महिला हूं, मैं ग़रीब मज़दूर वर्ग से आती हूं। यहां आकर मैं जनता की सेवा कर रही हूं। इसका जवाब मुख्यमंत्री जी देंगे उन्हें सब पता है। जिस तरह से मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है, वह बिल्कुल गलत है। इस पूरे मामले को लेकर मैं जल्द प्रेस कांफ्रेंस करुँगी।
मंत्री राकेश सिंह ने कही यह बात
वहीं इस पूरे मामले पर पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने इसे पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा है कि विभाग के द्वारा इसका खंडन भी कर दिया गया है।
लल्लूराम डॉट कॉम से खास बातचीत में शिकायतकर्ता ने लगाया बड़ा आरोप
बालाघाट के लांजी से पूर्व विधायक एवं शिकायतकर्ता किशोर समरीते ने लल्लूराम डॉट कॉम से ख़ास बातचीत में कहा, “जितने भी टेंडर हुए वह समय सीमा पर पूरे नहीं हुए। पूरे फर्जी कंपनी से सर्टिफिकेट देकर ठेकेदार से काम पूरा करने के लिए पेनाल्टी नहीं लगाई और कारण बताओ नोटिस नहीं दिया। साथ ही कागजों में समय देते रहे।” उन्होंने कहा कि “जल जीवन मिशन में 30 हजार करोड़ रुपए का मध्य प्रदेश सरकार में आबंटन हुआ। जिसमें 1 हजार करोड़ रुपए कमीशन की राशि मंत्री संपतिया उइके को मिला। मंडला के कार्यपालन यंत्री, और संपतिया उइके के ड्राइवर द्वारा पैसे लिए गए। 30 हजार करोड़ में मेकेनिकल विंग में वाविशयोर टेंडर में कोई काम समय पर नहीं हुआ। किसी काम का निरिक्षण नहीं हुआ और 50 परसेंट में काम हुआ।”
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