दिल्ली पुलिस(Delhi Police) ने संदिग्धों को हथकड़ी (handcuff) लगाने के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है. नए दिशानिर्देशों के अनुसार, कोर्ट, अस्पताल या अन्य स्थानों पर ले जाते समय हथकड़ी का उपयोग केवल गंभीर अपराधों के मामलों में किया जाएगा. विशेष रूप से 18 से 21 वर्ष के युवाओं के लिए, बिना कोर्ट की अनुमति के हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी, जिससे कमजोर वर्ग के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
गंभीर अपराधों पर सख्त नजर
नए नियमों के अनुसार, संगठित अपराध, आतंकवाद, नशे से संबंधित अपराध, अवैध हथियार कब्जा, हत्या, बलात्कार, तेजाब हमला, नकली मुद्रा, मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध और देश के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर मामलों में शामिल व्यक्तियों को हथकड़ी लगाई जा सकती है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन मामलों में सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, और हथकड़ी का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि अपराधी भागने का प्रयास न करे.
जोखिम का आकलन जरूरी
पुलिस को संदिग्ध को हथकड़ी लगाने से पहले उसकी पूरी जानकारी की जांच करनी होगी. इसमें उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि, भागने की संभावना और व्यवहार का मूल्यांकन शामिल होगा. इसके साथ ही, संदिग्ध की उम्र, चोट, शारीरिक अक्षमता, मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा स्थिति पर भी ध्यान देना आवश्यक है. यदि पुलिस को यह लगता है कि हथकड़ी लगाना आवश्यक है, तो वे विशेष रूप से गैंगस्टरों या खतरनाक अपराधियों के मामले में पीछे से हथकड़ी लगाने का विकल्प चुन सकते हैं.
कमजोर वर्ग को राहत
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि बुजुर्ग, घायल, शारीरिक रूप से अक्षम या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों को सामान्यतः हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी. महिलाओं के मामले में भी हथकड़ी का उपयोग केवल विशेष परिस्थितियों में किया जाएगा. युवा वयस्कों (18-21 वर्ष) को कोर्ट की लिखित अनुमति के बिना हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी. अस्पताल में भर्ती संदिग्धों को हथकड़ी से बचाने का प्रयास किया जाएगा, हालांकि भागने से रोकने के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरती जाएँगी.
जब संदिग्ध को अदालत, अस्पताल या अन्य स्थानों पर ले जाया जाता है, तो पुलिस हथकड़ी के साथ चेन का उपयोग कर सकती है. सार्वजनिक परिवहन जैसे बस, ट्रेन या विमान में भी हथकड़ी को समायोजित किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, यदि संदिग्ध को शौचालय जाना हो, तो हथकड़ी को हटाया जा सकता है या एक हाथ को चेन से सुरक्षित रखा जा सकता है. भोजन के समय भी हथकड़ी को ढीला किया जा सकता है ताकि संदिग्ध को खाने में कोई कठिनाई न हो.
कोर्ट की अनुमति जरूरी
पुलिस रिमांड के दौरान हथकड़ी का उपयोग करने के लिए अदालत से लिखित अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा. विशेष रूप से 18 से 21 वर्ष के युवाओं के मामले में यह नियम कड़ाई से लागू किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, पैरों में बेड़ी लगाने के लिए भी अदालत की स्वीकृति अनिवार्य होगी.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक