कुंदन कुमार/पटना। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर राज्य की राजनीति में गर्माहट बढ़ गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बिना किसी सर्वदलीय बैठक या संवाद के यह प्रक्रिया चला रहा है, जो पूरी तरह से गलत और अलोकतांत्रिक है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लोग कई बार चुनाव आयोग से मिलने का समय मांग चुके हैं, लेकिन आयोग हमसे बात करने को तैयार नहीं है। आयोग का यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। मतदाता पुनरीक्षण कार्य के दौरान ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो आम मतदाताओं, खासकर गरीब और ग्रामीण लोगों के पास उपलब्ध नहीं हैं।

इतनी जल्दबाजी क्यों

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि चुनाव से ठीक पहले इतनी जल्दबाजी में यह प्रक्रिया क्यों चलाई जा रही है। इससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बन रही है, जिसे आयोग को तुरंत दूर करना चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम का हमला

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम भी मौजूद रहे। उन्होंने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, अगर आज आयोग कह रहा है कि कई फर्जी मतदाता हैं, तो लोकसभा चुनाव में उन्हीं मतदाताओं ने वोट डाला था। क्या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फर्जी मतदाताओं के वोट से जीते हैं?

राजेश राम ने आरोप लगाया कि यह पूरा पुनरीक्षण अभियान दलितों, पिछड़ों और गरीबों के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि आयोग हमसे संवाद करने को तैयार नहीं है और पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।

जनता में आक्रोश का दावा

नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष, दोनों ने कहा कि बिहार की जनता इस एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगी और अगर यह प्रक्रिया रोकी नहीं गई, तो विपक्ष इसे सड़क से लेकर सदन तक मुद्दा बनाएगा।