2 June ki Roti: क्या होता है 2 जून की रोटी, क्यों कही जाती है यह कहावत...

2 जून की रोटी की कहावत 500 से अधिक साल पुरानी है, जो कि लोगों की जुबान पर बनी हुई है.

 यह मुश्किल से मिलने वाली रोटी के लिए इस्तेमाल की जाती है वहीं, कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि जून का महीना सबसे गर्म होता है.

 ऐसे में किसान अधिक मेहनत कर घर लौटता है और तब जाकर उसे रोटी मिलती है

दरअसल, जून शब्द अवधी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ समय होता है.

 इसलिए यह कहावत कही जाती है कि 2 जून की रोटी मिलना मुश्किल होती है, यानि दो समय की रोटी मिलना मुश्किल है.

 इस कहावत के बनने के बाद लोगों ने इसे गर्म महीने से जोड़ दिया और इसे लेकर अलग-अलग अर्थ निकाले गए

 आपको बता दें कि 2 जून की रोटी का प्रयोग बड़े साहित्यकार प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद द्वारा अपनी कहानियों और कवितािओं में किया गया है.

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