दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court)ने संसद की सुरक्षा में चूक के मामले (Parliament security lapse case) में आरोपियों को जमानत दे दी है, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिली है. हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आरोपी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. बुधवार को नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत देते हुए, कोर्ट ने उन्हें 2 जमानतदारों के साथ 50-50 हजार रुपए के जमानती बॉंड जमा करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. इसके साथ ही, मीडिया में इंटरव्यू देने और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. आरोपियों ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
क्या थी नीलम आजाद की दलील?
नीलम आजाद के वकील ने बताया कि आजाद संसद के बाहर मौजूद थीं, जहां उन्होंने बेरोजगारी की समस्या को उजागर करने के लिए धुंए के कनस्तर खोले और पर्चे फेंके. उनका उद्देश्य सोशल मीडिया के माध्यम से जनता का ध्यान आकर्षित करना था. नीलम आजाद ने स्पष्ट किया कि वह किसी आपराधिक साजिश का हिस्सा नहीं थीं.
क्या है मामला?
साल 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी, 13 दिसंबर 2023 को, संसद की सुरक्षा में एक गंभीर चूक का मामला सामने आया. इस घटना में आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी. ने लोकसभा के शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से कूदकर सदन में प्रवेश किया. उन्होंने इस दौरान कोई पीली गैस नहीं छोड़ी, लेकिन नारेबाजी की, जिसके बाद कुछ सांसदों ने उन्हें काबू में कर लिया. इसी समय, दो अन्य आरोपियों, अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने संसद परिसर के बाहर कथित तौर पर रंगीन गैस का स्प्रे किया और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाए.
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दिल्ली पुलिस ने 13 दिसंबर, 2023 को नीलम आजाम और उसके तीन सहयोगियों – सागर शर्मा, मनोरंजन डी और अमोल शिंदे को गिरफ्तार किया. इसके बाद, पुलिस ने इस साजिश के मुख्य योजनाकार ललित झा और सह-आरोपी महेश कुमावत को भी पकड़ लिया.
आजाद ने प्रार्थना की कि वह संसद के अंदर किसी भी आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने की कथित साजिश का हिस्सा नहीं थी, बल्कि वह केवल सामाजिक मुद्दों और बेरोजगारी संकट को उठाना चाहती थी. उसने कहा कि वह हरियाणा की एक शिक्षित महिला थी जो एक निजी स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करती थी.
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