साइबर अपराधियों ने नोएडा सेक्टर-47 में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला, जो सुप्रीम कोर्ट(Supeme Court) में वकील रह चुकी हैं, 9 दिन तक डिजिटल (Digital Arrest)रूप से फंसा कर 3 करोड़ 29 लाख रुपये की ठगी की. आरोपियों ने उनसे दिल्ली, महाराष्ट्र और कोलकाता में खोले गए बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कराए. यह आशंका जताई जा रही है कि ठगी की गई राशि किराए के खातों में जमा की गई है.
जांच के दौरान जालसाजों ने महिला को 16 जून से 24 जून तक डिजिटल रूप से बंधक बना रखा. उन्होंने महिला के बैंक खातों और उसमें जमा राशि की जानकारी इकट्ठा की और उसे बताया कि उसे अपनी एफडी तुड़वाकर सारी रकम उनके बताए गए खाते में ट्रांसफर करनी होगी. ठगों ने यह भी आश्वासन दिया कि जांच के बाद उसकी पूरी राशि उसके मूल खाते में वापस आ जाएगी. महिला को लगा कि वह गंभीर संकट में है और पुलिस अधिकारी उसकी मदद कर रहे हैं. इस धोखे में आकर, महिला ने ठगों के बताए खाते में पांच बार में लगभग तीन करोड़ 30 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए.
महिला ने बताया कि जब ठगों ने उसे फोन किया, तब वह घर में अकेली थीं. ठगों ने उसे चेतावनी दी कि यदि उसने इस बारे में किसी अन्य परिवार के सदस्य को बताया, तो उनके अन्य सदस्य भी जेल जा सकते हैं. इस दौरान उसकी बेटी और बेटा बाहर थे और उन्होंने कई बार मां को कॉल किया, लेकिन महिला ने उन्हें कुछ नहीं बताया. जब महिला की चिंता बढ़ने लगी, तब उसने अंततः अपने बेटे को पूरी घटना के बारे में बताया.
बेटे ने बताया कि उनकी मां साइबर ठगी का शिकार हो गई हैं, जिसके बाद मामला पुलिस थाने तक पहुंचा. महिला ने सभी लेन-देन से संबंधित दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं. उनके पड़ोसियों का घर में आना-जाना नहीं था, जिससे नौ दिनों तक कोई भी नहीं आया. इस दौरान ठग लगातार वीडियो कॉल के माध्यम से महिला पर नजर रखते रहे और समय-समय पर उन्हें रिपोर्ट करने के लिए कहते रहे, जिसे महिला ने पालन किया.
महिला ने अपने परिवार को फंसने की घटना के बारे में जानकारी नहीं दी. उन्होंने बताया कि वह एक अधिवक्ता हैं और आरोपियों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रही थीं. एक छोटी सी गलती और डर ने उनकी जीवनभर की बचत को बर्बाद कर दिया. शुरुआत में उन्होंने सोचा कि इस बारे में परिवार के सदस्यों से बात करें, लेकिन ठगों के डर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. वे ठगों के कहे अनुसार ही कार्य करती रहीं. इस दौरान उनकी बेटी ने परेशान होने का कारण पूछा, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया.
कोई भी जांच एजेंसी इस तरह पूछताछ नहीं करती
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि देश में कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल गिरफ्तारी नहीं करती है. यदि वीडियो कॉल के माध्यम से पुलिस, सीबीआई, या सीआईडी के अधिकारी संपर्क करते हैं, तो यह आमतौर पर फर्जी होता है. ऐसे मामलों में कॉल करने वाले से यह कहने की सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय पुलिस के साथ घर आकर पूछताछ करें.
साइबर ठगी होने पर यहां शिकायत करें
साइबर ठगी का शिकार होने पर जितनी जल्दी संभव हो, शिकायत दर्ज कराना आवश्यक है. ठगी के 24 घंटे के भीतर टोल फ्री नंबर 1930 या राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत अवश्य प्रस्तुत करें, इससे धनराशि को फ्रीज कराने में आसानी होगी.
साइबर ठगी से बचने के लिए ये सावधानी बरतें
यदि कोई अज्ञात व्यक्ति आपको बताता है कि आपके पार्सल में ड्रग्स हैं, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें.
किसी भी फोन कॉल के माध्यम से लोन दिलाने का प्रस्ताव मिलने पर सावधान रहें और उसके झांसे में न आएं.
अनजान व्यक्तियों के साथ अपने बैंक खाते, आधार नंबर, पैन आदि व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें.
यदि कोई अज्ञात व्यक्ति आपको किसी सोशल मीडिया ग्रुप में जोड़ता है, तो उससे इसका कारण अवश्य पूछें.
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