वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। उरला क्षेत्र के ग्राम बाना में विधवा महिला और उसके दो मासूम बेटों की निर्मम हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए आरोपी की अपील को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने सुनाया.

IndiaTv13df0d_judge

मामला अक्टूबर 2019 का है, जब आरोपी चंद्रकांत निषाद ने खुद ही पुलिस को सूचना दी थी कि ग्राम बाना में उसकी सास दुलौरिन बाई (विधवा) और उनके दो बेटे सोनू निषाद व संजय निषाद की मौत हो गई है. सूचना पर उरला थाना प्रभारी मनीष सिंह परिहार ने तीन अलग-अलग मर्ग कायम कर जांच शुरू की. जांच में यह सामने आया कि 9-10 अक्टूबर की दरम्यानी रात तीनों की हत्या कर दी गई थी.

हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने के लिए शवों को खाट पर लिटाकर जलाने की कोशिश की गई, ताकि यह आगजनी का हादसा प्रतीत हो. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि तीनों के सिर पर किसी भारी वस्तु से वार कर उनकी हत्या की गई थी.

तफ्तीश के दौरान पता चला कि घटना की रात आरोपी चंद्रकांत मृतकों के साथ ही मौजूद था. पूछताछ में उसने कबूल किया कि पहले उसने लाठी से दुलौरिन बाई पर वार कर उनकी हत्या की और बच्चों के जागने पर उन्हें भी मार डाला. बाद में शव जलाने की कोशिश की. आरोपी की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लाठी, खून लगा टी-शर्ट और अन्य साक्ष्य बरामद किए गए.

सत्र न्यायालय ने चंद्रकांत निषाद को तीनों हत्याओं के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.

सुनवाई के दौरान एक गवाह ने बयान दिया कि आरोपी पुलिस में था और वर्दी में भी मृतक के घर अक्सर आता-जाता था. आरोपी मृतक परिवार का दामाद था.

कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ परिस्थितियों की श्रृंखला पूरी तरह सिद्ध है, बरामदगी भी विधिवत साबित हुई है और मृतकों के साथ अंतिम बार देखे जाने की स्थिति में आरोपी द्वारा कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण न देना उसके बचाव के लिए घातक है. इन तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए उम्रकैद की सजा बरकरार रखी.