विक्रम मिश्र, लखनऊ. लखनऊ की शान और रवायत की बात करें तो गोमती नदी का नाम जरूर ही आता है. बिना गोमती के लखनऊ की कल्पना के परे है. गोमती लखनऊ के लिए जीवनदायनी भी है और सलीका सिखाने वाली एक अध्यापिका भी, ऐसे में उस गोमती नदी के ऊपर लखनऊ के लोगों को भी ध्यान देना चाहिए, लेकिन यहां तो नदी के नाम पर ही विभागीय खेल हो गया है. पिछली सरकारों में गोमती रिवरफ्रंट के नाम घोटालेबाजी सामने आई थी, जिसकी जांच इस सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी बदस्तूर जारी है, लेकिन दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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अब तो नया ही मामला सामने आया है. जहां पर गोमती नदी से जलकुंभी शिल्ट और काई इत्यादि की सफाई के लिए 20 नावों से 50 नाविकों के द्वारा सफाई का दावा किया गया था. जबकि, फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया तो न तो नदी में नाव दिखी और न ही उस पर सवार होकर सफाई करते नाविक ही दिखाई दिए.

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ऐसे में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने नगर आयुक्त नगर निगम लखनऊ गौरव कुमार को पत्र लिखकर इसकी रिपोर्ट एक हफ्ते में मांगी है. नदी का हाल और उसकी सफाई की व्यवस्था की तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.