सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल द्वारा रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण शुल्क में मनमाने ढंग से की गई तीन गुना बढ़ोतरी और अध्यक्ष-सदस्यों को मिलने वाले भत्तों में दो गुना इजाफा अब रद्द कर दिया गया है। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर के बाद मामले ने तूल पकड़ा और काउंसिल के भीतर ही इस फैसले का विरोध शुरू हो गया। काउंसिल के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता और भगतराम ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को पत्र लिखकर इस मनमानी पर संज्ञान लेने की मांग की थी। जिसके बाद अब स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल के हस्तक्षेप ने इस फैसले पर रोक लगा दिया है।


बता दें कि छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के द्वारा 8 मई 2025 को आयोजित आम सभा में नए पंजीयन एवं नवीनीकरण सहित अन्य फीस को बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय को 1 जून 2025 से लागू कर दिया गया था। फीस वृद्धि के बाद राज्य के विभिन्न फार्मासिस्ट संगठन तथा दवा व्यापारी संगठनों ने फीस वृद्धि पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था लेकिन सुनवाई नहीं हुई। लल्लूराम डॉट कॉम ने ख़बर प्रकाशित की, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के हस्तक्षेप के बाद युवाओं और व्यापारी वर्ग के हितों को ध्यान रखते हुए फीस वृद्धि को वापस किया गया।
बढ़ी हुई फीस पर पुनर्विचार के लिए बुधवार 2 जुलाई 2025 को काउंसिल का विशेष सम्मेलन नवीन विश्रामगृह रायपुर में आयोजित किया गया। इस विशेष बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने बढ़ी हुई फीस पर विभिन्न बिंदुओं पर पुनर्विचार किया और अंत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि फीस में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की जाएगी। यह भी निर्णय लिया गया कि केवल कोविड महामारी काल में घटाए गए पंजीयन नवीनीकरण शुल्क को 300 रुपये के स्थान पर पुनः 500 रुपये किया जाए। इस तरह पूर्व में लागू फीस ही यथावत रहेगी। इसके साथ ही 1 जून 2025 से जिनसे भी बढ़ी फीस को लिया गया है उन फार्मासिस्टों को अतिरिक्त फीस को वापस किए जाने का निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ फ़ार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के निर्देशानुसार फार्मासिस्टों के हितों को ध्यान में रखते हुए बढ़े हुए शुल्क को वापस लिया गया है।
छत्तीसगढ़ फ़ार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्विनी गुर्देकर ने कहा, 2013 से फीस में वृद्धि नहीं की गई थी, इसलिए रजिस्ट्रेशन शुल्क और लेट फीस में बढ़ोतरी की गई थी, जिसको लेकर फार्मा संघ, दवा विक्रेता संघ और काउंसिल के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए सुझाव दिया था कि बहुत ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसपर स्वास्थ्य मंत्री का सुझाव मिला, इस आधार पर काउंसिल की बैठक बुलाकर बढ़ा हुआ और शुल्क निरस्त कर दिया गया है।
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