रायपुर। अनुसूचित जाति की एक युवती को शादी का झांसा देकर लंबे समय तक दुष्कर्म करने और जबरदस्ती गर्भपात कराने के मामले में एससी-एसटी विशेष न्यायालय रायपुर ने बड़ा फैसला सुनाया है। आरोपी नबी आलम खान को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

नौकरी और मकान का लालच देकर फंसाया
मामला वर्ष 2022 का है, जब पीड़िता रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में किराए के मकान में रह रही थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात आरोपी नबी आलम खान से हुई। आरोपी ने पहले नौकरी दिलाने और मकान उपलब्ध कराने का लालच देकर पीड़िता को अपने विश्वास में लिया और फिर शादी का झांसा देकर उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए।
जब गर्भवती हुई तो जबरन कराया गर्भपात
पीड़िता ने बताया कि 15 जून 2022 से 9 सितंबर 2023 तक आरोपी ने लगातार उसका शारीरिक शोषण किया। इस दौरान जब वह गर्भवती हुई, तो आरोपी ने उसकी मर्जी के खिलाफ गर्भपात की दवाई देकर जबरन गर्भपात करवा दिया। यह सब कुछ विवाह का झांसा देकर किया गया।
कोर्ट ने साक्ष्यों को माना पुख्ता, सुनाई उम्रकैद की सजा
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों के बयान कोर्ट में प्रस्तुत किए, जिनमें पीड़िता, चिकित्सक, मकान मालिक और अन्य प्रत्यक्षदर्शी शामिल थे। विशेष सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता की जातीय और सामाजिक स्थिति का फायदा उठाकर उसके साथ गंभीर अपराध किया है और ऐसे मामलों में कोई उदारता नहीं बरती जा सकती।
कोर्ट ने नबी आलम को दुष्कर्म की धारा 376(2) में 10 वर्ष, गर्भपात की धारा 313 में पांच वर्ष कठोर कारावास और एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(2) के तहत आजीवन कारावास के साथ कुल 5,000 के जुर्माने से दंडित किया। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
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