बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले प्रदेश में जमकर सियासी ड्रामा चल रहा है. बिहार में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में संशोधन का मामला सामने आने के बाद विपक्ष सक्रिया हो गया है. INDI गठबंधन ने इसे ‘वोटबंदी’ का नाम दिया है. मामले को लेकर INDIA ब्लॉक के 11 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने इसे लेकर बुधवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की थी. इसे लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्ष पर निशाना साधा है.

डिप्टी सीएम ने कहा कि ‘फर्जीवाड़ा’ का कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन के बाकी दलों का चोली-दामन का साथ है. इसके दम पर ही उनकी राजनीति होती रही है. करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठिया इनके ‘धतकर्मों’ के कारण इस देश में वोटर बन बैठे. चुनाव आयोग ने जब उन पर झाड़ू चलाने का काम किया तो इन दलों का चेहरा लाल हो गया. लोकतंत्र में पारदर्शिता इनसे देखी नहीं जाती, जबकि मोदी सरकार इसके लिए संकल्पित है.

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बता दें कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं. इससे पहले बिहार में चुनाव आयोग स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कार्यक्रम चला रहा है. जिसमें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) हर घर में जाकर मतदाताओं का वैरिफिकेशन कर रहे हैं. जो लोग निर्धारित फॉर्म भरकर BLO को जमा करेंगे, उन्हीं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल किए जाएंगे. जिन लोगों का वैरिफिकेशन 25 जुलाई तक नहीं होगा, उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं.

इस विषय को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए थे. इतना ही नहीं विपक्ष चुनाव आयोग से भी इसकी शिकायत करने गए थे. लेकिन वे आयोग के जवाबों से संतुष्ट नहीं थे. इस प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, CPI(M), CPI, CPI(ML) लिबरेशन, NCP (शरद पवार गुट) और समाजवादी पार्टी के नेता शामिल थे.

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ये लोग वोट का अधिकार छीन रहे- तेजस्वी

प्रक्रिया को लेकर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग से सवाल किया था. उनका कहना था कि ‘चुनाव से ठीक पहले आप वोटर लिस्ट क्यों बना रहे हैं? क्या इतने कम दिनों में बिहार के सभी लोगों की वोटर लिस्ट बनेगी? बिहार में कुल 8 करोड़ लोग मतदाता हैं. सरकार के मुताबिक, राज्य के करीब 3 करोड़ लोग बिहार से पलायन कर चुके हैं. अब इनका वोटरकार्ड कैसे बनेगा ये बताएं? ये लोग वोट का अधिकार छीन रहे हैं. अगर वास्तव में सुधार करना चाहते थे तो लोकसभा चुनाव के बाद तुरंत क्यों नहीं किया?’