अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में मानसून की पहली बारिश ने प्रशासनिक दावों और इंफ्रास्ट्रक्चर की हकीकत को सामने ला दिया है। शुक्रवार सुबह कलेक्टर परिषद भवन का एक हिस्सा बारिश के चलते अचानक भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि घटना के वक्त पार्किंग एरिया खाली था, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।

भवन की ऊपरी दीवारों में पहले से थी दरारें 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भवन की ऊपरी दीवारों में पहले से दरारें थीं, लेकिन समय रहते कोई मरम्मत नहीं कराई गई। नतीजा ये हुआ कि पहली ही बारिश में सरकारी भवन की पोल खुल गई। खास बात यह है कि इसी भवन में जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी बैठते हैं, ऐसे में इस भवन की जर्जर स्थिति कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

स्थानीय कर्मचारियों और नागरिकों ने बताया कि वे बीते कई महीनों से भवन की बिगड़ती हालत को लेकर चिंता जता रहे थे। कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन जिम्मेदार विभाग ने मरम्मत कराने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब बारिश शुरू होते ही लापरवाही का नतीजा सबके सामने है। जब जिले के प्रशासनिक मुख्यालय का यह हाल है, तो बाकी सरकारी कार्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों के भवनों की स्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। सवाल ये है कि क्या जिला प्रशासन केवल कागजों पर सुरक्षा और मरम्मत की बातें करता है?

अब भी नहीं चेते तो हो सकती है बड़ी दुर्घटना

विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह की घटनाएं समय रहते चेतावनी देती हैं। यदि जल्द ही बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल ऑडिट कराकर उचित मरम्मत नहीं कराई गई, तो भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है – जो ना केवल जनहानि का कारण बनेगा, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करेगा।

फिलहाल प्रशासन ने भवन के गिरे हुए हिस्से को हटवा कर सुरक्षा घेरा बना दिया है। लेकिन सवाल सिर्फ गिरे हिस्से का नहीं, बल्कि पूरे भवन की मजबूती और अन्य सरकारी बिल्डिंग्स की समीक्षा का है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि जिला प्रशासन इस घटना को गंभीरता से लेकर तत्काल आवश्यक कार्रवाई करेगा।

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