प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. जिले में अवैध शराब कारोबार अपने चरम पर है। गांव हो या शहर, हर गली और वार्ड में शराब बेचने वाले कोचियों की भरमार है। पुलिस ने दो लोगों को अवैध शराब के साथ गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सीधे सरकारी शराब दुकान से ही अवैध सप्लाई हो रही है। राजदीप शराब कंपनी के संरक्षण में शराब कोचिए फलफूल रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, राजदीप कंपनी का एरिया मैनेजर समीर साहू अपने सेल्समैन और सुपरवाइजरों की मिलीभगत से शराब दुकानों से सीधे कोचियों को देशी शराब महंगे दामों पर सप्लाई कराता है। यही नहीं, जिले के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के नाम पर शराब पहुंचाने का काम करवाया जा रहा है। पूर्व में राजनांदगांव जिले के छुरिया में समीर साहू के ऊपर अवैध शराब बिक्री कराने के आरोप लग चुके है, यही कारण है कि उन्हें जिले से बाहर का रास्ता दिखा दिए थे। अब कबीरधाम जिले में समीर साहू अवैध शराब बेचवा रहा है और युवाओं को नशे की लत में ढकेल रहा है।

पुलिस की कार्रवाई से हुआ खुलासा

शहर के ट्रांसपोर्ट नगर में सिटी कोतवाली पुलिस ने दो लोगों को अवैध देशी शराब के साथ गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी कोचियों को शराब सप्लाई कर रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। ये लोग राजदीप कंपनी के एरिया मैनेजर समीर साहू के कहने पर सरकारी शराब दुकान से शराब उठाकर कोचियों तक पहुंचाते थे।

डिप्टी सीएम को ठेंगा दिखा रहे शराब दुकान के कर्मचारी

एक तरफ डिप्टी सीएम विजय शर्मा नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसने और कार्रवाई करने की बात करते हैं, लेकिन शराब दुकान के कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम को ठेंगा दिखाते हुए जिले में अवैध शराब धड़ल्ले से कोचियों तक पहुंचा रहे हैं. सरकारी शराब दुकानों से एक बार बिकने के बाद शराब वापस नहीं ली जाती, लेकिन इस मामले में यही शराब फिर से दुकानों में बेची जा रही है, जो साफ दर्शाता है कि इसमें शराब दुकानों के कर्मचारी भी शामिल हैं।

QR कोड सिर्फ दिखावा, असलियत में लूट

शराब की बोतलों में लगाए गए QR कोड सिर्फ दिखावे की चीज बनकर रह गई है। ग्राहक के स्कैन करने के लिए लगाए गए इन कोड्स को खुद सेल्समैन स्कैन नहीं करते। यानी रिकॉर्ड में सब क्लीन, लेकिन धरातल पर कोचियों के घर-घर शराब पहुंच रही है।

गांव-गांव में बर्बादी का धंधा, आंख मूंदे बैठे हैं अधिकारी

कोचियों की बाढ़ से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग परेशान हैं। शराब की आसान उपलब्धता ने युवाओं को नशे की गर्त में ढकेल दिया है। गांवों का माहौल बिगड़ रहा है और शहरों की गलियों में आधी रात तक धड़ल्ले से शराब बिक रही है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि आबकारी विभाग को अपने ही कर्मचारियों की इस कारगुजारी की भनक तक नहीं है। सवाल भी उठने लगा है कि क्या आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं।

सरकार की नशा मुक्ति योजनाओं की खुली पोल

एक ओर सरकार नशा मुक्ति अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर उसी सरकार की लाइसेंसी दुकानों के कर्मचारी कोचियों को शराब पहुंचाकर पूरे जिले को नशे में डुबो रहे हैं। यही नहीं, पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री शराब घोटाले के चलते जेल की हवा खा रहे हैं। कई अधिकारी बेल पर बाहर हैं, लेकिन मौजूदा व्यवस्था भी कुछ अलग नहीं दिखती। शराब माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे अब खुद ही सप्लायर बन बैठे हैं। अब देखना ये है कि प्रशासन इस पूरे रैकेट पर क्या बड़ा कदम उठाता है या फिर एक-दो गिरफ्तारी के बाद सब कुछ फिर से ‘सिस्टम’ के हवाले छोड़ दिया जाएगा।

मामले की जांच कर रहे : जिला आबकारी अधिकारी

इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी अजय सिंग धुर्वे ने कहा, राजदीप शराब कंपनी के एरिया मैनेजर समीर साहू के खिलाफ जांच की जा रही है। किसी प्रकार की संदिग्धता प्रमाणित होती है तो उसे सीधे सेवा मुक्त किया जाएगा। राजदीप कंपनी छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन द्वारा नियुक्त कंपनी है, जिसका काम है जिले के शराब दुकानों में मैनपावर उपलब्ध कराना। स्टॉक मिलान करना और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकने की जिम्मेदारी भी कंपनी की रहती है। QR कोड मामले को लेकर उन्होंने कहा, बिना QR कोड स्कैन किए दुकानों से शराब नहीं बेजी जा सकती। बार कोड स्कैन करने के बाद ही शराब बेची जाती है।