गाजियाबाद कमिश्नरेट के सात पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है. इनमें से चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ फीडबैक सेल की रिपोर्ट के आधार पर और तीन के खिलाफ वायरल वीडियो के कारण कार्रवाई की गई. पुलिस कमिश्नर जे. रविन्द्र गौड ने नागरिकों से संबंधित पुलिस सेवाओं में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का निर्देश दिया था, जिसके तहत आवेदकों और फरियादियों के प्रार्थना-पत्रों पर कार्रवाई के लिए फीडबैक सेल और कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना की गई. इसी प्रक्रिया के तहत 2 और 3 जुलाई को फीडबैक सेल में चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ नकारात्मक फीडबैक दर्ज किया गया.  इंदिरापुरम थाने में तैनात हेड कॉन्स्टेबल प्रवीण कुमार, सौरभ बघेल, अमित कुमार और मसूरी थाने के पूरण सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा, एक वायरल वीडियो के आधार पर तीन अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सस्पेंशन की कार्रवाई की गई है.

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एडिशनल सीपी आलोक प्रियदर्शी ने जानकारी दी कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें तीन पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. इन आरोपों के बाद, मसूरी थानाक्षेत्र में तैनात मुख्य आरक्षी मोहम्मद नाजिम, आरक्षी चालक विश्वेंद्र सिंह और आरक्षी कुंदन को निलंबित कर दिया गया है.

डीसीपी ट्रांस हिंडन, निमिष पाटिल ने गुरुवार को बीट पुलिस अधिकारियों के साथ एक बैठक में पासपोर्ट और चरित्र प्रमाण पत्र के सत्यापन की प्रक्रिया की समीक्षा की. इस बैठक में थाना इंदिरापुरम की कार्यप्रणाली को सबसे खराब पाया गया, जिससे उन्होंने असंतोष व्यक्त किया. डीसीपी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी आवेदक को वेरिफिकेशन के लिए थाने नहीं बुलाया जाना चाहिए, बल्कि सत्यापन संबंधित आवेदक के पते पर जाकर ही किया जाए.

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रोजाना होने वाली जनसुनवाई का रिकॉर्ड रखना होगा

ट्रांस हिंडन क्षेत्र के सभी थानों और चौकियों में प्रतिदिन होने वाली जनसुनवाई का रिकॉर्ड अब रखा जाएगा. इसके लिए डीसीपी ट्रांस हिंडन ने सभी थानों और चौकियों में एक विशेष रजिस्टर तैयार करने का निर्देश दिया है. इस रजिस्टर में प्रत्येक पीड़ित की समस्या का संक्षिप्त विवरण, समय और उस पर की गई कार्रवाई की जानकारी दर्ज की जाएगी. इसके साथ ही, डीसीपी ने बीट पुलिस अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया है कि वे जनसुनवाई के दौरान पीड़ितों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करें.