अमित पाण्डे, खैरागढ़। शहर के तुरकारीपारा स्थित शासकीय अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक शाला क्रमांक-1 में शासकीय दस्तावेज जलाए जाने की शिकायत के बाद शिक्षा विभाग पर सबूत मिटाने का गंभीर आरोप लग रहा है. शिकायत सामने आने के तुरंत बाद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने अधजले दस्तावेजों को “कचरा” बताकर हटवा दिया. कांग्रेस के विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने इस मामले में शिक्षा विभाग पर सबूत मिटाने और सच छिपाने के गंभीर आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस के विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने कहा कि तुरकारी पारा प्राथमिक शाला नंबर एक में जहां शिक्षा विभाग का संकुल संचालित है वहां सरकारी दस्तावेजों को जलाया गया है. जब मीडिया में खबरे आती हैं, तो आनन फानन में नगरपालिका को कचरा बताकर उन अधजले दस्तावेजों को उठवाया जाता है, सरकारी दस्तावेजों को जलाने का नियम होता है लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए ये आग लगाई गई है. इसमें कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कुछ छिपाने का प्रयास किया है. इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.

जानकारी के मुताबिक, जिला शिक्षा अधिकारी लालजी द्विवेदी ने नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) नरेश वर्मा को फोन कर कहा कि स्कूल में कचरा पड़ा है, जिसे तुरंत हटाया जाए. इसके बाद नगर पालिका की टीम मौके पर पहुंची और वहां पड़ी राख व अधजली फाइलों को हटा दिया.

मुख्य नगर पालिका अधिकारी नरेश वर्मा ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा,
“मुझे डीईओ का फोन आया कि प्राथमिक शाला क्रमांक-1 में कचरा पड़ा है. उनके कहने पर कर्मचारियों को भेजकर कचरा हटवाया. मुझे नहीं पता था कि इसमें शासकीय दस्तावेज शामिल थे.”

शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
शिकायत करने वाले व्यक्ति का कहना है कि राख में उपस्थिति रजिस्टर, रिकॉर्ड और कई महत्वपूर्ण फाइलें थीं. सवाल उठ रहा है कि दस्तावेज जलाने के बाद जांच शुरू होने से पहले ही इतनी जल्दबाजी में उन्हें हटाने की क्या जरूरत पड़ी?

निष्पक्ष जांच पर उठे सवाल
इस पूरे मामले की जांच जिला शिक्षा अधिकारी से कराए जाने की तैयारी है. लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि जिनके मातहत कर्मचारियों पर लापरवाही और सबूत छुपाने के आरोप हैं, क्या वही अधिकारी निष्पक्ष जांच कर पाएंगे?

स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या उच्च अधिकारी से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो.

फिलहाल, यह घटना शिक्षा विभाग की जवाबदेही और पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर रही है. पूरे शहर में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.